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महाराज ने केन्द्रीय मंत्री से ऐतिहासिक स्थलों पर शोध का किया अनुरोध

महाराज ने केन्द्रीय मंत्री से ऐतिहासिक स्थलों पर शोध का किया अनुरोध

महाराज ने केन्द्रीय मंत्री से ऐतिहासिक स्थलों पर शोध का किया अनुरोध

सिन्धु घाटी सभ्यता की स्क्रिप्ट का किया जाए अनुवाद

देहरादून। हमारे देश में अनेकों ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं जिन पर शोध किया जाना आवश्यक है। इतना ही नहीं इन स्थानों पर अंकित लिपी का हमारी सभ्यता एवं संस्कृति के दृष्टिकोण से अनुवाद किया जाना भी बेहद जरूरी है।

उक्त बात प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति, लोकनिर्माण, सिंचाई, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण एवं जलागम, मंत्री सतपाल महाराज ने केन्द्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को लिखे एक पत्र के माध्यम से कही है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री शेखावत से कहा है कि सिन्धु घाटी की सभ्यता के स्क्रिप्ट का अनुवाद करवाया जाना चाहिए। उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में स्थित पाषाणकालीन लखुडियार की अति प्राचीन पेंटिंग का इतिहास, जौनसार क्षेत्र में स्थित प्राचीन गुफाओं एवं सरस्वती नदी के उद्‌गम स्थल के रहस्य आदि पर भी पुरातत्व विभाग के माध्यम से शोध किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।

संस्कृति मंत्री महाराज ने कहा कि हमारी समृद्ध सॅस्कृति और यहाँ के ‘प्राचीन इतिहास एवं सभ्यता पर गहन शोध की आवश्यकता है। हमारे देश में अनेकों ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं जिन पर अंकित लिपि का अनुवाद और शोध होना जरूरी है। उन्होंने केन्द्रीय संस्कृति मंत्री से अनुरोध किया है कि सिन्धु घाटी सभ्यता की स्क्रिप्ट का अनुवाद करवाने के साथ-साथ बलूचिस्तान के लोगों द्वारा जो ब्राहुई भाषा का प्रयोग किया जाता है वह हमारी तमिल, तेलगू और मलयालम से मिलती-जुलती है। कन्धार में बसे लोग गन्धारी की संतान बतायी जाती है ये सभी हमारी संस्कृति का अनुसरण करते हैं अतः इन सभी पर शोध किये जाने की अत्यन्त आवश्यकता है।

प्रदेश के संस्कृति मंत्री महाराज ने केन्द्रीय मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में स्थित पाषाणकालीन लखुडियार की अति प्राचीन पेंटिंग का इतिहास, जौनसार क्षेत्र में स्थित प्राचीन गुफाओं एवं सरस्वती नदी के उद्‌गम स्थल के रहस्य आदि पर भी पुरातत्व विभाग के माध्यम से शोध किया जाना अत्यन्त आवश्यक है जिससे हमारी नई पीढी को हमारी समृद्धशाली संस्कृति एवं इतिहास की विस्तृत जानकारी मिल सके और इससे वह लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का विदेशों में भी अप्रत्यक्ष रूप से अनुसरण किया जाता है। इराक के कुर्द लोग अपने घर में मोर की फोटो लगाते हैं, यूरोप में बसे हुए उत्तर भारत मूल के जिप्सी समाज के लोग हस्तरेखा देखकर भविष्य बताने का काम करते हैं।

उन्होंने केन्द्रीय मंत्री शेखावत से अनुरोध किया कि ऐतिहासिक स्थलों एवं विदेशों में हमारी संस्कृति को धारित किये विभिन्न जाति के लोगों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कराते हुए इसमें शोध करवाये जाने हेतु सम्बन्धित विभागों को निर्देशित किया जाये।


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