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दिवाली से पहले सरकार का तोहफा, जीएसटी दरों में बड़ी कटौती

Category Archives: बिजनेस

दिवाली से पहले सरकार का तोहफा, जीएसटी दरों में बड़ी कटौती

दूध, पनीर, ब्रेड और दवाएं हुईं सस्ती, पान मसाला-सिगरेट पर बढ़ा टैक्स

22 सितंबर से लागू होंगी नई जीएसटी दरें

नई दिल्ली। दिवाली से पहले केंद्र सरकार ने जनता को राहत का बड़ा पैकेज दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में व्यापक कटौती का ऐलान किया। अब कई रोजमर्रा की वस्तुएं और सेवाएं सस्ती होंगी, जबकि कुछ लग्जरी और हानिकारक उत्पादों पर कर बढ़ा दिया गया है। जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।

जीएसटी में संशोधन के बाद अधिकांश वस्तुएं 5% और 18% स्लैब में आ गई हैं। कई उत्पादों को जीरो टैक्स (0%) श्रेणी में रखा गया है, जबकि तंबाकू, पान मसाला और शुगरी ड्रिंक्स जैसे आइटम अब 40% ‘सिन टैक्स’ स्लैब में आ गए हैं।

क्या सस्ता हुआ?

दूध, पनीर, छेना, ब्रेड, खाखरा और चपाती पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा।

बटर, खोआ, घी और अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स 12% से घटकर 5% टैक्स पर आ गए हैं।

33 जीवन रक्षक दवाओं और हेल्थ इंश्योरेंस/एलआईसी पॉलिसियों पर टैक्स शून्य कर दिया गया है।

कृषि और बागवानी मशीनरी, ट्रैक्टर, ट्यूब-टायर, कीटनाशक और उर्वरक सामग्री पर टैक्स 18% से घटकर 5% हो गया है।

मोटरसाइकिल (350 सीसी तक), एसी, टीवी, डिशवॉशर और छोटे वाहनों पर जीएसटी 28% से घटकर 18% हो गया है।

क्या महंगा हुआ?

कोल्ड ड्रिंक, शुगरी बेवरेज और नॉन-अल्कोहलिक ड्रिंक अब 40% स्लैब में चले गए हैं।

लग्जरी कारें, रेसिंग कारें और 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकिलें भी महंगी हो गई हैं।

पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 40% कर दिया गया है।

जुआ, कैसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और रेस क्लब में एंट्री भी अब 40% जीएसटी स्लैब में आएगी।

रिवॉल्वर, पिस्तौल और निजी उपयोग के लिए विमान व नाव पर भी 40% टैक्स लगेगा।

सरकार का दावा है कि इस फैसले से आम और मध्यम वर्ग को सीधी राहत मिलेगी, जबकि हानिकारक व विलासिता वाली वस्तुओं पर ज्यादा टैक्स लगाकर राजस्व भी बढ़ाया जाएगा।


जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधार से खुलेगी अर्थव्यवस्था, घटेगा अनुपालन बोझ: वित्त मंत्री सीतारमण

चेन्नई: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार भारत की अर्थव्यवस्था को अधिक खुला, पारदर्शी और सरल बनाएंगे। इसके साथ ही ये सुधार अनुपालन बोझ (compliance burden) को भी कम करेंगे, जिससे छोटे और मध्यम व्यवसायों को बड़ी राहत मिलेगी।

वित्त मंत्री चेन्नई में आयोजित सिटी यूनियन बैंक के 120वें स्थापना दिवस समारोह में बोल रही थीं। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।

वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हाल ही में अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य विनियमों को सरल बनाना, अनुपालन लागत में कटौती करना और स्टार्टअप्स व एमएसएमई को अधिक सक्षम बनाना है।

सीतारमण ने कहा, “कल और परसों होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक से इन सुधारों की योजनाबद्ध शुरुआत हो रही है। आने वाले महीनों में यह पहल भारत की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से खुली और पारदर्शी बनाएगी। साथ ही छोटे व्यवसायों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगी।”

जनधन खातों की सफलता पर प्रकाश

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में जनधन योजना की सफलता का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में 56 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं, जिनमें अब तक 2.68 लाख करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि इन खातों में से 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं, जबकि 56 प्रतिशत खाते महिलाओं के नाम पर हैं — यह वित्तीय समावेशन की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता (asset quality) में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जिससे देश की बैंकिंग प्रणाली और अधिक स्थिर और मजबूत हुई है।

डिजिटल जागरूकता पर राष्ट्रपति मुर्मू की चिंता

इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी अहम बातें रखीं। उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति के बावजूद, देश में अब भी डिजिटल साक्षरता, इंटरनेट पहुंच और वित्तीय जागरूकता के मामले में कई चुनौतियां बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा, “बैंकिंग सेवाओं को दूरदराज के गांवों तक पहुंचाने का कार्य सराहनीय है, लेकिन अब वक्त है कि लोगों को तकनीकी और डिजिटल साक्षरता के माध्यम से बेहतर रूप से जोड़ने पर ध्यान दिया जाए।“

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने में बैंकों की भूमिका बेहद अहम है और बैंकिंग क्षेत्र को इस दिशा में और अधिक सक्रिय होना चाहिए।


अमेरिका ने भारत के निर्यात पर लगाया 50% टैरिफ, ट्रंप प्रशासन का फैसला भारतीय उद्योगों पर सीधा प्रभाव

नई दिल्ली/वॉशिंगटन: भारत से अमेरिका को होने वाले 48 अरब डॉलर से अधिक के वार्षिक निर्यात पर बुधवार से 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लागू हो गया है। यह निर्णय अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में लिए गए उस आदेश का हिस्सा है, जिसमें रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर ‘जुर्माना टैरिफ’ लगाया गया है।

इसमें से 25% शुल्क पहले ही 7 अगस्त से प्रभावी हो चुका था, जबकि अतिरिक्त 25% शुल्क 27 अगस्त से लागू हो गया है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग द्वारा जारी मसौदा आदेश के मुताबिक, यह फैसला भारत-केंद्रित है, जबकि चीन जैसे बड़े रूसी तेल आयातकों को इस आदेश से बाहर रखा गया है।

किन उत्पादों पर असर?

नए टैरिफ का सीधा असर भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिनमें शामिल हैं:

  • कपड़ा और परिधान

  • रत्न और आभूषण

  • झींगा और समुद्री उत्पाद

  • चमड़ा व जूते

  • रसायन

  • विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी

  • पशु उत्पाद

हालांकि, कुछ श्रेणियों को इस दायरे से बाहर रखा गया है, जैसे कि:

  • फार्मास्यूटिकल्स

  • ऊर्जा उत्पाद

  • इलेक्ट्रॉनिक सामान

पुराने शिपमेंट को आंशिक राहत

नोटिस के अनुसार, 27 अगस्त 12:01 बजे (अमेरिकी समयानुसार) से पहले जो उत्पाद अमेरिका के लिए रवाना हो चुके हैं और उपभोग के लिए मंजूरी प्राप्त कर चुके हैं, उन्हें टैरिफ से छूट दी जाएगी। लेकिन जो माल अमेरिका के गोदामों में पड़ा है और अभी तक उपभोग के लिए मंजूरी नहीं मिली है, उस पर पूर्ण 50% शुल्क लागू होगा।

प्रतिस्पर्धा बढ़ी, पड़ोसी देशों को फायदा

भारत के लिए चिंता की बात यह है कि अब अमेरिकी बाजार में उसके प्रतिस्पर्धी देशों के उत्पाद सस्ते हो जाएंगे। इन देशों पर टैरिफ अपेक्षाकृत कम है:

  • म्यांमार (40%)

  • थाईलैंड, कंबोडिया (36%)

  • बांग्लादेश (35%)

  • इंडोनेशिया (32%)

  • चीन, श्रीलंका (30%)

  • मलेशिया (25%)

  • वियतनाम, फिलीपीन (20%)

रोजगार पर संकट

विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़े हुए टैरिफ के कारण भारत के कपड़ा, आभूषण, मशीनरी, रसायन और चमड़ा उद्योग प्रभावित होंगे। इससे इन क्षेत्रों में रोजगार छिनने की आशंका भी गहरा गई है।

भारत के विकल्प और जवाबी कदम

  • नए निर्यात बाजार तलाशना, विशेषकर यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में।

  • भारत भी अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाने पर विचार कर सकता है।

  • ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, इस टैरिफ से भारत का 66% अमेरिकी निर्यात प्रभावित होगा।

अमेरिका का दोहरा रवैया?

जहाँ अमेरिका भारत पर रूसी तेल व्यापार को लेकर प्रतिबंध लगा रहा है, वहीं खुद अमेरिकी कंपनी एक्सोन मोबिल को रूस में फिर से तेल उत्पादन शुरू करने की कोशिशें जारी हैं। इससे अमेरिका की नीति पर दोहरे मापदंड का आरोप लग रहा है।


Tesla Model Y भारत में लॉन्च, 15 मिनट की चार्जिंग में चलेगी 238 KM

मुंबई में खुला पहला शोरूम, कीमत 60 लाख से शुरू, सितंबर से शुरू होगी डिलीवरी

नई दिल्ली। टेस्ला ने भारत में अपने पहले शोरूम की लॉन्चिंग के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में धूम मचा दी है। कंपनी ने अपनी प्रीमियम इलेक्ट्रिक ‘Model Y’ को भारत में आधिकारिक रूप से लॉन्च कर दिया है, जिसकी कीमत लगभग 60 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) तय की गई है। मुंबई के बीकेसी स्थित मैक्सिटी मॉल में टेस्ला का पहला शोरूम खुल चुका है, और डिलीवरी सितंबर 2025 से शुरू होगी।

बुकिंग हुई शुरू
टेस्ला ने अपनी वेबसाइट पर Model Y की बुकिंग शुरू कर दी है, जो फिलहाल मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम में उपलब्ध होगी। खास बात यह है कि जो ग्राहक फुल-सेल्फ ड्राइविंग (FSD) फीचर वाला वेरिएंट लेना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए अतिरिक्त 6 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।

वेरिएंट्स और परफॉर्मेंस
Tesla Model Y को भारत में दो वेरिएंट्स में उतारा गया है:

लॉन्ग रेंज RWD:
यह वेरिएंट सिंगल इलेक्ट्रिक मोटर से लैस है, जो 295 हॉर्सपावर और 420 Nm टॉर्क पैदा करता है। यह कार एक बार चार्ज करने पर 500 किमी तक चल सकती है और सिर्फ 5.6 सेकंड में 0 से 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है।

लॉन्ग रेंज AWD:
ड्यूल मोटर से लैस इस वेरिएंट की रेंज 622 किमी है। इसमें 384 bhp की पावर और 510 Nm का टॉर्क मिलता है। इसकी टॉप स्पीड 217 किमी प्रति घंटा है और यह मात्र 4.6 सेकंड में 0-100 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ लेती है।

चार्जिंग टेक्नोलॉजी
Model Y को टेस्ला की फास्ट चार्जिंग तकनीक से लैस किया गया है। कंपनी का दावा है कि यह केवल 15 मिनट में 238 किमी की दूरी तय करने लायक चार्ज हो सकती है।

सेफ्टी फीचर्स
सभी वेरिएंट्स में लेवल-2 ADAS तकनीक दी गई है, जिसमें फॉरवर्ड कोलिजन वार्निंग, ऑटोमैटिक इमर्जेंसी ब्रेकिंग, लेन कीप असिस्ट और स्पीड लिमिट असिस्ट जैसे एडवांस फीचर्स शामिल हैं। साथ ही, कार में 6 स्टैंडर्ड एयरबैग्स भी दिए गए हैं।

डिजाइन और इंटीरियर
Tesla Model Y भारत में कुल 7 एक्सटीरियर कलर ऑप्शन और 2 इंटीरियर ट्रिम्स के साथ उपलब्ध होगी। इसमें 15.4 इंच का फ्रंट टचस्क्रीन, 8 इंच का रियर डिस्प्ले, पावर-एडजेस्टेबल सीट्स और स्टीयरिंग कॉलम, डुअल-जोन क्लाइमेट कंट्रोल, 19-इंच क्रॉसफ्लो व्हील्स, ग्लास रूफ और पावर रियर लिफ्टगेट जैसे प्रीमियम फीचर्स मिलते हैं।


Meta ने पेश किया अपना नया AI ऐप, ChatGPT को देगा सीधी टक्कर

नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अब मेटा (Meta) ने भी बड़ी छलांग लगाई है। कंपनी ने अपना नया AI ऐप Meta AI लॉन्च कर दिया है, जो Llama 4 लैंग्वेज मॉडल पर आधारित है। यह ऐप अब Google Play Store और Apple App Store पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है। यूज़र्स अब इस ऐप को अपने स्मार्टफोन में अलग से डाउनलोड कर सकते हैं और इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। मेटा का यह कदम सीधे तौर पर OpenAI के ChatGPT को टक्कर देने वाला माना जा रहा है, जो फिलहाल दुनिया का सबसे लोकप्रिय AI चैटबॉट है।

Meta AI को एक मल्टी-फंक्शनल AI असिस्टेंट के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो सवाल-जवाब, टेक्स्ट जनरेशन, राइटिंग, कोडिंग और अन्य कई कामों में सहायता कर सकता है। मेटा का दावा है कि Llama 4 मॉडल की ताकत के साथ यह ऐप यूज़र्स को तेज़, स्मार्ट और सहज अनुभव प्रदान करेगा। AI बाजार में लगातार बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच मेटा का यह कदम तकनीकी दुनिया के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।

बता दें कि अभी तक Meta AI का इस्तेमाल करने के लिए या तो WhatsApp, Instagram, Facebook या Messenger की जरूरत पड़ती थी या कंपनी की वेबसाइट पर जाना पड़ता था लेकिन अब आप स्टैंडअलोन ऐप के जरिए भी मेटा AI को बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। ChatGPT जैसे अन्य AI ऐप्स में जहां कुछ सर्च करने और फोटो बनाने जैसी सुविधाएं मिलती है तो मेटा का AI ऐप इससे भी एक कदम आगे निकल गया है। जी हां, इस ऐप में तो कंपनी ने खास डिस्कवर फीड को भी ऐड किया है जहां से आप ये जान सकते हैं कि दुनियाभर में लोग किस तरह से AI ऐप पर सर्च कर रहे हैं।

इन्हें देखकर आप भी अपने हिसाब से चीजों को AI का इस्तेमाल करके खोज सकते हैं। मेटा ने इस डिस्कवर फीड की एक फोटो शेयर की है जिसमें एक यूजर अपने AI से तीन इमोजी में उनका समरी देने के लिए कह रहा है जिसे वो बाद में अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं। मेटा एआई ऐप में डिस्कवर फीड यह पता लगाने का बेहतर स्पेस दे रही है कि दूसरे लोग एआई का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं। आप लोगों द्वारा शेयर किए जा रहे सबसे अच्छे प्रॉम्प्ट देख सकते हैं, या उन्हें रीमिक्स करके अपना बना सकते हैं। हालांकि आप चाहें तो इसे कंट्रोल भी कर सकते हैं, यानी जब तक आप इसे पोस्ट नहीं करते तब तक आपके फीड पर कुछ भी शेयर नहीं किया जाएगा। केवल वो इंटरैक्शन ही फ़ीड पर दिखाई देंगे जिन्हें यूजर खुद शेयर करेगा।

इस ऐप में रेगुलर AI ऐप की तरह काफी फीचर्स मिल जाते हैं लेकिन इस लॉन्च के साथ मेटा ने अपने वॉयस मोड को भी बेहतर बनाया है। ऐप इमेज जेनरेशन और एडिटिंग जैसे मेटा एआई फीचर्स भी ऑफर कर रहा है, जो अब आपके एआई असिस्टेंट के साथ वॉयस या टेक्स्ट चैट के जरिए किया जा सकता है। मेटा इन दिनों भारत में रे-बैन मेटा ग्लास लाने की भी तैयारी कर रहा है।


व्हाट्सएप में जल्द आएगा नया फीचर, अब इमोजी ही नहीं, स्टिकर से भी दे सकेंगे रिएक्शन

नई दिल्ली मेटा के स्वामित्व वाला मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप यूजर्स के चैटिंग अनुभव को और भी इंटरैक्टिव बनाने की दिशा में लगातार नए फीचर्स पर काम कर रहा है। दिसंबर 2024 में इमोजी रिएक्शन फीचर पेश करने के बाद अब व्हाट्सएप एक और दिलचस्प फीचर लाने की तैयारी में है। व्हाट्सएप अब ऐसे फीचर पर काम कर रहा है, जिससे यूजर्स किसी मैसेज पर स्टिकर के जरिए भी प्रतिक्रिया दे सकेंगे। अभी तक यूजर्स केवल इमोजी का उपयोग करके मैसेज पर रिएक्ट कर सकते थे, लेकिन नया फीचर चैटिंग को और ज्यादा मजेदार और पर्सनल बनाने वाला है। इस फीचर की टेस्टिंग फिलहाल बीटा वर्जन में चल रही है और जल्द ही इसे आम यूजर्स के लिए रोलआउट किया जा सकता है। माना जा रहा है कि शुरुआत में यह अपडेट Android और iOS दोनों प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध कराया जाएगा। स्टिकर रिएक्शन फीचर उन यूजर्स के लिए खास फायदेमंद साबित हो सकता है जो इमोजी की तुलना में स्टिकर से अपनी भावनाएं अधिक बेहतर तरीके से व्यक्त करना पसंद करते हैं। व्हाट्सएप के इस कदम से यह साफ है कि कंपनी यूजर्स की जरूरतों और ट्रेंड्स को ध्यान में रखते हुए अपने प्लेटफॉर्म को लगातार बेहतर बनाने में जुटी है।

व्हाट्सएप ने दिसंबर 2024 में इमोजी रिएक्शन फीचर पेश किया था, जिससे यूजर्स किसी मैसेज पर इमोजी के जरिए प्रतिक्रिया दे सकते हैं, लेकिन अब मेटा के स्वामित्व वाले इस प्लेटफॉर्म पर एक और दिलचस्प फीचर आने वाला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, व्हाट्सएप अब ऐसे फीचर पर काम कर रहा है जिससे यूजर्स स्टिकर के जरिए भी मैसेज पर रिएक्शन दे सकेंगे।

यह केवल मौजूदा फीचर का विस्तार नहीं, बल्कि यूजर एक्सपीरियंस को और भी अधिक मजेदार और अभिव्यक्तिपूर्ण बनाने की कोशिश है। गौरतलब है कि मेटा के दूसरे प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर यह फीचर पहले से मौजूद है, हालांकि अभी केवल iOS यूजर्स के लिए। वहीं व्हाट्सएप का नया स्टिकर रिएक्शन फीचर एंड्रॉयड और iOS दोनों के लिए आने वाला है, जैसा कि WABetaInfo की रिपोर्ट में बताया गया है।

नई अपडेट के बाद, यूजर्स किसी भी मैसेज या मीडिया पर स्टिकर के साथ रिएक्शन दे सकेंगे। इसके लिए यूजर्स व्हाट्सएप के स्टिकर कीबोर्ड से स्टिकर चुन सकेंगे, चाहे वह व्हाट्सएप के ऑफिशियल स्टिकर स्टोर से डाउनलोड किया गया हो या थर्ड पार्टी ऐप्स से इंपोर्ट किया गया हो। पहले से सेव किए गए स्टिकर भी इस फीचर में काम आएंगे। यह सुविधा खासतौर पर उन मौकों पर बेहद काम आएगी जहां साधारण इमोजी भावनाओं को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पाते। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई ग्रुप में फनी वॉयस नोट या मीम भेजता है, तो एक मजेदार एनिमेटेड स्टिकर, जैसे कि जोर-जोर से हंसते हुए किसी कैरेक्टर का स्टिकर भेजकर बातचीत को और भी दिलचस्प बनाया जा सकता है। फिलहाल यह फीचर डेवलपमेंट स्टेज में है और भविष्य के व्हाट्सएप अपडेट के साथ रोलआउट होने की उम्मीद है।


सेंसेक्स 4.16%  से गिरकर 72,222.87 के स्तर पर, जानिए निफ्टी का हाल 

नई दिल्ली। वैश्विक व्यापार युद्ध की चिंता और अमेरिका में मंदी की बढ़ती आशंकाओं के बीच पूरी दुनिया के शेयर बाजार में भारी बिकवाली दिखी। भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा और सेंसेक्स व निफ्टी जैसे प्रमुख सूचकांक चार फीसदी से ज्यादा टूट गए। सुबह 12 बजकर 15 मिनट पर सेंसेक्स 3,141.82  अंक यानी 4.16% गिरकर 72,222.87 के स्तर पर आ गया। दूसरी ओर, निफ्टी 1,012.41 अंक या 4.42% कमजोर होकर 21,892.05 के स्तर पर कारोबार करता दिखा। इस दौरान क्षेत्रवार सूचकांकों में 8% तक की बड़ी गिरावट दिखी और निवेशकों को करीब 19 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।

भारतीय बाजार में बिकवाली के बीच क्या चल रहा है?

सोमवार को घरेलू बाजार में हुई भीषण बिकवाली के बीच कुछ बड़ी कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट दिखी। रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर अपने 52 हफ्तों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया और 5% से अधिक की गिरावट के साथ बीएसई पर 1144.90 रुपये के भाव पर कारोबार करता दिखा। बीते छह दिनों में कंपनी के मार्केट कैप में करीब दो लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है। एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के शेयरों पर भी भारी बिकवाली का असर दिखा। मेटल सेक्टर के शेयरों का हाल सबसे खराब रहा।

दूसरी ओर, बीएसई पर टाटा स्टील का शेयर 11.56 प्रतिशत, नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड का 11.22 प्रतिशत, एपीएल अपोलो ट्यूब्स का 10 प्रतिशत, सेल का 9.99 प्रतिशत, जेएसडब्ल्यू स्टील का 9.92 प्रतिशत तथा जिंदल स्टेनलेस का 9.91 प्रतिशत टूट गया। हिंदुस्तान जिंक के शेयरों में 9.83 प्रतिशत, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में 8.95 प्रतिशत, एनएमडीसी में 8.48 प्रतिशत तथा जिंदल स्टील एंड पावर में 8.19 प्रतिशत की गिरावट आई। बीएसई धातु सूचकांक 6.52 प्रतिशत गिरकर 26,594.09 पर आ गया। अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन की ओर से अपेक्षा से अधिक जवाबी टैरिफ लगाए जाने से मंदी की आशंकाएं और वैश्विक आर्थिक विकास के प्रति चिंताएं बढ़ गई हैं, जिसके कारण धातु शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई।  शुक्रवार को धातु कंपनियों के शेयरों में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी।

30 शेयरों के सूचकांक सेंसेक्स में आई अब तक की बड़ी गिरावट

बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 19.4 लाख करोड़ रुपये घटकर 383.95 लाख करोड़ रुपये रह गया। सभी प्रमुख सेक्टर लाल निशान में रहे, निफ्टी आईटी में 7% से अधिक की गिरावट आई। निफ्टी ऑटो, रियल्टी और ऑयल एंड गैस में 5% से अधिक की गिरावट आई। व्यापक बाजार में, स्मॉल-कैप और मिड-कैप सूचकांक क्रमशः 10% और 7.3% तक गिरे। भारत बाजार में उतार-चढ़ाव को मापने वाला इंडिया VIX 59% चढ़कर 21.94 अंकों पर पहुंच गया। बाजार में बढ़े भय के माहौल के कारण इंडिया VIX में पहली बार एक दिन में इतना तेज उछाल दिखा। बाजार की गिरावट के बीच वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड में भी बड़ी गिरावट दिखी और यह 2.74 प्रतिशत गिरकर 63.78 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

एशियाई, यूरोपीय और अमेरिकी बाजार का क्या हाल?

ट्रंप टैरिफ के बाद शेयर बाजार में आए भूचाल से एशियाई और अमेरिकी बाजारों में भी बड़ी बिकवाली आई है। एशियाई बाजारों में, हांगकांग का हैंगसेंग लगभग 11 प्रतिशत तक गिर गया है। टोक्यो का निक्केई 225 लगभग 7 प्रतिशत तक टूटा है वहीं, शंघाई एसएसई कम्पोजिट सूचकांक 6 प्रतिशत से की गिरावट के साथ कारोबार करता दिख रहा है। दक्षिण कोरिया के कोस्पी सूचकांक में भी पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। ट्रम्प के टैरिफ के कारण मंदी की आशंका से यूरोपीय शेयर बाजार 16 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए।पैन-यूरोपीय STOXX 600 में शुक्रवार को कोविड-19 महामारी के बाद से सबसे बड़ी एक दिवसीय गिरावट दिखी और यह 5.8% तक गिर गया। अमेरिकी बाजारों का हाल भी ऐसा ही रहा। एसएंडपी500 शुक्रवार को 5.97 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। दूसरी ओर, नैस्डैक कंपोजिट में 5.82 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और डॉव 5.50 प्रतिशत तक फिसल गया।

बीते कुछ समय में कैसी रही भारतीय बाजार की चाल?

पहले से विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली की मार झेल रहे भारतीय बाजार के लिए डोनाल्ड ट्रंप की ओर से घोषित जवाबी टैरिफ नया संकट बनकर सामने आया। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 3,483.98 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची। इस दौरान, सेंसेक्स 930.67 अंक या 1.22 प्रतिशत गिरकर 75,364.69 पर बंद हुआ। निफ्टी 345.65 अंक या 1.49 प्रतिशत गिरकर 22,904.45 पर बंद हुआ। पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 2,050.23 अंक या 2.64 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि एनएसई निफ्टी में 614.8 अंक या 2.61 प्रतिशत की गिरावट आई।

अब कब करवट लेगा बाजार? जानकारों की राय क्या?

रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विकास जैन के अनुसार चीन और जापान दोनों सूचकांक में क्रमशः 10 प्रतिशत और 8 प्रतिशत की गिरावट आई है। वैश्विक व्यापार युद्ध और संभावित मंदी से जुड़ी चिंताएं बढ़ गई हैं और इससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हो रही है। शुक्रवार को, यूएस एसएंडपी 500 में 6 प्रतिशत की गिरावट आई और डॉव जोन्स 2000 से अधिक अंक गिर गया। कोविड संकट के बाद से बाजार के लिए पिछला सप्ताह सबसे खराब साबित हुआ। दूसरी ओर, अमेरिकी टैरिफ के जवाब में चीन ने भी 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी आयातों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने का एलान कर दिया है। इसे देखते हुए ऐसा लग रहा है अमेरिका और चीन की ओर से उठाए गए कदमों से मुद्रास्फीति और वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में बाजार में तेज खरीदारी लौटने में थोड़ा समय लग सकता है।

2020 के कोविड क्रैश के बाद से सिर्फ दूसरी बार भारतीय बाजार एक ही दिन में 5% से ज्यादा गिरे हैं। निफ्टी अब अपने शिखर से 17% नीचे है। बेंचमार्क इंडेक्स आधिकारिक तौर पर 21,022 पर बियर मार्केट क्षेत्र में प्रवेश करने से अब महज 1,000 अंक से भी कम दूर है। स्टॉककार्ट के निदेशक और सीईओ प्रणय अग्रवाल ने कहा, “आज के ब्लैक मंडे ने भारतीय बाज़ारों को हिलाकर रख दिया है, लेकिन निवेशकों और व्यापारियों को शांत रहना चाहिए। अस्थिरता अवसर लाती है, लेकिन केवल मजबूत जोखिम प्रबंधन के साथ… याद रखें, यह भी बीत जाएगा।”

क्या देश की जीडीपी पर भी असर पड़ने का खतरा है?

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के संजीव प्रसाद और उनकी टीम के विश्लेषकों के अनुसार, “पारस्परिक टैरिफ, भले ही अस्थायी हों पर इससे कंपनियों और निवेशकों के लिए अनिश्चितता बढ़ी है।” प्रसाद ने कहा, “अगले कुछ सप्ताहों में भारतीय बाजारों का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि हितधारक देशों की ओर से टैरिफ की आग में पानी डाला जाता है या घी। इसके अलावे, भारत के खुदरा व घरेलू संस्थागत निवेशकों का व्यवहार भी बाजार की धारणा को प्रभावित करेगा। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि घटते रिटर्न और बढ़ती अस्थिरता घरेलू इक्विटी की मांग घटा सकती है।”

कई ब्रोकरेज फर्मों को टैरिफ के कारण भारत के वित्त वर्ष 2026 के जीडीपी आंकड़ों पर असर पड़ने का जोखिम दिख रहा है। हालांकि, सरकार से जुड़े सूत्रों ने सोमवार को दावा किया है भारत के लिए चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित वृद्धि पर कोई असर नहीं दिखेगा। इस बीच, एसएमसी ग्लोबल में खुदरा इक्विटी के अनुसंधान के सहायक उपाध्यक्ष सौरभ जैन के अनुसार मार्च तिमाही में कंपनियों की कॉर्पोरेट आय के नरम रहने की संभावना है। इसे देखते हुए निफ्टी50 इस गिरावट के दौर में 21,500-21,800 के महत्वपूर्ण समर्थन स्तर तक पहुंचकर कारोबार करता दिख सकता है।

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यूपीआई लेनदेन की सुरक्षा और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए नए नियम किए जारी, आज से होंगे लागू 

मोबाइल नंबर बंद तो नहीं मिलेंगी यूपीआई की सेवाएं

नई दिल्ली। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने यूपीआई लेनदेन की सुरक्षा और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए नए नियम जारी किए हैं। यह नियम एक अप्रैल से लागू हो रहे हैं। इसके मुताबिक, अगर आप अपने मोबाइल नंबर का 90 दिनों तक इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो दूरसंचार कंपनी वह नंबर किसी दूसरे व्यक्ति को दे सकती है।

इसका मतलब है कि अगर आपने पुराने मोबाइल नंबर से यूपीआई लिंक किया है और वह नंबर बंद हो गया है, तो आपकी यूपीआई आईडी भी काम नहीं करेगी। यानी आप यूपीआई सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। एक अप्रैल से बैंक और यूपीआई एप ग्राहकों के मोबाइल नंबर रिकॉर्ड को सप्ताह में कम-से-कम एक बार जांचेंगे और अपडेट करेंगे, ताकि बदले गए मोबाइल नंबरों के कारण गलत लेनदेन न हो।

यूपीआई यूजर्स को करने होंगे ये काम 
बैंक में अपना मोबाइल नंबर अपडेट करें ताकि यूपीआई सेवाएं चालू रहें।
अगर हाल ही में नंबर बदला है, तो जल्द बैंक में नया नंबर रजिस्टर करें।
बैंक रजिस्टर्ड नंबर का इस्तेमाल करते रहें ताकि वह निष्क्रिय न ही और यूपीआई सेवाएं प्रभावित न हो।

एनपीसीआई ने धोखाधड़ी को कम करने के लिए हाल ही में कलेक्ट पेमेंट फीचर को हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। अब यह फीचर सर्फ बड़े और वेरिफाइड व्यापारियों तक सीमित रहेगा। व्यक्तिगत लेनदेन में इसकी सीमा 2,000 रुपये कर दी जाएगी।


अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा सोना, कीमत में दर्ज की गई 700 रुपये की बढ़ोतरी

नई दिल्ली। शादी के सीजन से पहले बढ़ती खरीदारी और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण सोने की कीमत में 700 रुपये की बढ़ोतरी हुई और यह बुधवार को नई ऊंचाई 91,950 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। मंगलवार को यह 91,250 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। शादी और त्योहारों के सीजन से पहले स्थानीय सर्राफा कारोबारियों की ओर से की गई खरीदारी की गई है। वहीं मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव और अमेरिका की आर्थिक सुस्ती की आशंका भी इसकी वजह है।

वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में बुधवार को एक बार फिर बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे यह अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें 3000 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस के स्तर से ऊपर बनी रहीं। मामले में मनीष मोदी, सीनियर एनालिस्ट, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, ‘वैश्विक व्यापार युद्ध और भू-राजनीतिक अनिश्चितता के कारण निवेशक अन्य वित्तीय संपत्तियों को लेकर सतर्क हैं, जिससे सोने की मांग लगातार बढ़ रही है।’

पिछले 210 दिनों में सोने की कीमतें 2,500 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर 3,000 डॉलर प्रति औंस हो गई हैं। आमतौर पर, सोने की कीमत में इतनी बढ़ोतरी होने में लगभग 1,700 दिन लगते हैं, लेकिन इस बार तेजी से उछाल देखने को मिला है। विश्व गोल्ड काउंसिल की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया, ‘सोने की कीमतों में थोड़ी गिरावट आ सकती है, लेकिन भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता, बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों में कटौती और कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण सोने में निवेश जारी रहेगा।’

शेयर बाजार में अस्थिरता के कारण अमीर निवेशक फिजिकल गोल्ड खरीदने की बजाय गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स में निवेश कर रहे हैं। साल 2025 में गोल्ड ईटीएफ में रिकॉर्ड निवेश देखा गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लोग सोने को एक सुरक्षित निवेश मान रहे हैं।


घरेलू शेयर बाजार में लगातार आठ दिन से जारी गिरावट का सिलसिला थमा 

नई दिल्ली। घरेलू शेयर बाजार में लगातार आठ दिन से जारी गिरावट का सिलसिला सोमवार को थम गया और प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स 57.65 अंक की बढ़त के साथ बंद हुआ। एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में खरीदारी के कारण यह तेजी आई।

कारोबार के आखिरी सत्र में खरीदारी से 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 57.65 अंक या 0.08 प्रतिशत चढ़कर 75,996.86 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 644.45 अंक या 0.84 प्रतिशत गिरकर 75,294.76 अंक पर आ गया। एनएसई निफ्टी 30.25 अंक या 0.13 प्रतिशत बढ़कर 22,959.50 पर पहुंच गया।

30 शेयरों वाले ब्लू-चिप शेयरों में बजाज फिनसर्व, पावर ग्रिड, इंडसइंड बैंक,अदाणी पोर्ट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, एचडीएफसी बैंक, जोमैटो और टाटा मोटर्स प्रमुख लाभार्थी रहे। महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, भारती एयरटेल, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक और आईटीसी सबसे ज्यादा पिछड़ने वाले शेयर रहे। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने शुक्रवार को 4,294.69 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 में अब तक एफपीआई की ओर से कुल 99,299 करोड़ रुपये यानी करीब 1 लाख करोड़ रुपये की निकासी की गई है। अमेरिका की ओर से आयात पर टैरिफ लगाए जाने के एलान के बाद बढ़े वैश्विक तनाव के कारण इस महीने के पहले दो हफ्तों में एफपीआई ने 21,272 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। इससे पहले जनवरी में एफपीआई की ओर से 78,027 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की गई थी।

एशियाई बाजारों में सियोल, टोक्यो और शंघाई सकारात्मक दायरे में बंद हुए, जबकि हांगकांग में गिरावट दिखी। इस दौरान, यूरोपीय बाजार बढ़त के साथ कारोबार करते दिखे। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार ज्यादातर गिरावट के साथ बंद हुए।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.21 प्रतिशत बढ़कर 74.90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शुक्रवार को बीएसई का सेंसेक्स 199.76 अंक या 0.26 प्रतिशत गिरकर 75,939.21 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी 102.15 अंक या 0.44 प्रतिशत गिरकर 22,929.25 अंक पर बंद हुआ। पिछले आठ कारोबारी सत्रों में बीएसई बेंचमार्क 2,644.6 अंक या 3.36 प्रतिशत नीचे गिरा और वहीं निफ्टी 810 अंक या 3.41 प्रतिशत टूटा है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे गिरकर 86.87 पर बंद हुआ

विदेशी पूंजी की भारी निकासी और अमेरिकी डॉलर सूचकांक में कारोबार के दौरान निचले स्तर से सुधार के कारण सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे कमजोर होकर 86.87 (अनंतिम) पर बंद हुआ।

विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि भारतीय रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार कर रहा है, क्योंकि विदेशी बैंक डॉलर की खरीद पर उतारू हैं और आयातक डॉलर को सुरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें वैश्विक अनिश्चितता के बीच आगे मूल्यह्रास की आशंका है।

इस बीच, आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि 7 फरवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 7.654 अरब डॉलर बढ़कर 638.261 अरब डॉलर हो गया। यह लगातार तीसरा सप्ताह है जब कोष में उछाल आया है। 31 जनवरी को समाप्त सप्ताह में कोष 1.05 अरब अमेरिकी डॉलर बढ़कर 630.607 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया था।

(साभार)


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