काठमांडू। नेपाल में हाल ही में बने अंतरिम सरकार के बीच न्यायपालिका ने धीरे-धीरे कामकाज फिर से शुरू कर दिया है। बीते सप्ताह हिंसक प्रदर्शनों में सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की इमारत भी बुरी तरह से जलकर खाक हो गई। हालात को सामान्य करने की दिशा में कदम उठाते हुए रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी कार्यवाही अस्थायी टेंट में शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट परिसर में लगाया सफ़ेद टेंट
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट परिसर में सफेद टेंट लगाए गए जिन पर ‘सुप्रीम कोर्ट नेपाल’ लिखा था। इन टेंटों में अदालत के कर्मचारी मौजूद रहे और मुकदमों की नई तारीखें दी गईं। हालांकि, परिसर के चारों ओर अभी भी जले हुए वाहनों का ढेर नजर आया, जो हिंसक घटनाओं की भयावह तस्वीर बयां करता है।
सबसे बड़ी चिंता क्या?
सबसे बड़ी चिंता यह है कि आगजनी में कम से कम 26,000 मामलों के रिकॉर्ड और लगभग 36,000 फाइलें नष्ट हो गईं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पूर्ण मान शाक्य ने पुष्टि की कि दस्तावेजों की इस बड़ी क्षति से न्यायिक प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ेगा। वहीं, नेपाल की नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने भी इस नुकसान को गंभीर बताया और कहा कि न्यायपालिका को अब सभी रिकॉर्ड और फाइलों को नए सिरे से तैयार करना होगा।
पहले दिन ली मामलों की जानकारी
नेपाली मीडिया ‘खबरहब’ के अनुसार, कोर्ट ने पहले दिन केवल मामलों की जानकारी दर्ज की और कुछ नए रिट याचिकाएं स्वीकार कीं। हालांकि, पुराने मामलों की सुनवाई अभी स्थगित रखी गई है क्योंकि संबंधित दस्तावेज फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं। कोर्ट ने फिलहाल तारीखें देकर मामलों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
व्यवस्थाओं को पटरी में लाने की कोशिश
सेना ने हालात संभालने के लिए कर्फ्यू में कुछ ढील दी है, लेकिन देश में अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट की टेंट में शुरू हुई कार्यवाही इस बात का संकेत है कि नेपाल अपनी लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में है।