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Nepal SC in White Tent: नेपाल में अंतरिम सरकार के बीच सुप्रीम कोर्ट ने टेंट में शुरू किया कामकाज

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Nepal SC in White Tent: नेपाल में अंतरिम सरकार के बीच सुप्रीम कोर्ट ने टेंट में शुरू किया कामकाज

काठमांडू। नेपाल में हाल ही में बने अंतरिम सरकार के बीच न्यायपालिका ने धीरे-धीरे कामकाज फिर से शुरू कर दिया है। बीते सप्ताह हिंसक प्रदर्शनों में सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की इमारत भी बुरी तरह से जलकर खाक हो गई। हालात को सामान्य करने की दिशा में कदम उठाते हुए रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी कार्यवाही अस्थायी टेंट में शुरू की।

सुप्रीम कोर्ट परिसर में लगाया सफ़ेद टेंट

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट परिसर में सफेद टेंट लगाए गए जिन पर ‘सुप्रीम कोर्ट नेपाल’ लिखा था। इन टेंटों में अदालत के कर्मचारी मौजूद रहे और मुकदमों की नई तारीखें दी गईं। हालांकि, परिसर के चारों ओर अभी भी जले हुए वाहनों का ढेर नजर आया, जो हिंसक घटनाओं की भयावह तस्वीर बयां करता है।

सबसे बड़ी चिंता क्या?

सबसे बड़ी चिंता यह है कि आगजनी में कम से कम 26,000 मामलों के रिकॉर्ड और लगभग 36,000 फाइलें नष्ट हो गईं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पूर्ण मान शाक्य ने पुष्टि की कि दस्तावेजों की इस बड़ी क्षति से न्यायिक प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ेगा। वहीं, नेपाल की नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने भी इस नुकसान को गंभीर बताया और कहा कि न्यायपालिका को अब सभी रिकॉर्ड और फाइलों को नए सिरे से तैयार करना होगा।

पहले दिन ली मामलों की जानकारी 

नेपाली मीडिया ‘खबरहब’ के अनुसार, कोर्ट ने पहले दिन केवल मामलों की जानकारी दर्ज की और कुछ नए रिट याचिकाएं स्वीकार कीं। हालांकि, पुराने मामलों की सुनवाई अभी स्थगित रखी गई है क्योंकि संबंधित दस्तावेज फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं। कोर्ट ने फिलहाल तारीखें देकर मामलों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।

व्यवस्थाओं को पटरी में लाने की कोशिश  

सेना ने हालात संभालने के लिए कर्फ्यू में कुछ ढील दी है, लेकिन देश में अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट की टेंट में शुरू हुई कार्यवाही इस बात का संकेत है कि नेपाल अपनी लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में है।


ब्राजील के राष्ट्रपति ने अमेरिका पर साधा निशाना, कहा- “ब्राजील का लोकतंत्र बिकाऊ नहीं”

राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला ने ट्रंप प्रशासन के 50% टैरिफ को बताया राजनीतिक और अतार्किक

ब्रासीलिया। ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने अमेरिका पर एक बार फिर सीधा हमला बोला है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन द्वारा ब्राजील पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को “राजनीतिक और अव्यावहारिक” करार दिया। लूला ने न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित अपने लेख में साफ शब्दों में लिखा कि उनकी सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन “ब्राजील का लोकतंत्र बिकाऊ नहीं है।”

अमेरिकी टैरिफ से विवाद भड़का
जुलाई में तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्राजील पर भारी-भरकम टैरिफ लगाते हुए आरोप लगाया था कि लूला सरकार पूर्व राष्ट्रपति जेर बोल्सोनारो के खिलाफ बदले की राजनीति कर रही है। हालांकि, ठीक इसी हफ्ते ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट ने बोल्सोनारो को 2022 में तख्तापलट की साजिश के लिए दोषी ठहराते हुए 27 साल की सजा सुनाई है।

लूला ने दिया दो टूक जवाब
लूला ने कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह ब्राजील की लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती का प्रमाण है। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि फैसले से पहले महीनों लंबी जांच हुई थी, जिसमें यहां तक सामने आया कि उनकी, उपराष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की हत्या की साजिश रची गई थी। अमेरिकी टैरिफ पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “यह न केवल गुमराह करने वाला है, बल्कि पूरी तरह से अतार्किक कदम है।”

अमेरिका की चेतावनी पर ब्राजील का पलटवार
बोल्सोनारो की सजा के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने सख्त बयान दिया था कि ट्रंप प्रशासन हालात को देखते हुए कदम उठाएगा। इस पर ब्राजील ने नाराजगी जताई और विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी टिप्पणी को “अनुचित धमकी” बताया। मंत्रालय ने साफ किया कि ब्राजील की न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है और बोल्सोनारो मामले में सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन हुआ है।


नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं सुशीला कार्की, भ्रष्टाचार विरोधी छवि से बनाई पहचान

काठमांडू। नेपाल में पहली बार किसी महिला ने अंतरिम प्रधानमंत्री पद संभाला है। पूर्व सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को शुक्रवार रात राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शपथ दिलाई। जन-जेनरेशन (Gen-Z) प्रदर्शनकारियों के समर्थन से सत्ता में आईं सुशीला कार्की को देश में एक ईमानदार और सख्त छवि वाली नेता माना जाता है। इसके साथ ही वे नेपाल के 220 सालों के इतिहास में इस पद तक पहुंचने वाली पहली महिला बन गईं हैं।

नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रही कार्की

कार्की पहले भी इतिहास रच चुकी हैं। 2016 में वे नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनी थीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई अहम फैसले दिए, जिनमें सरोगेसी को बिजनेस बनने से रोकना शामिल है। उनके नेतृत्व वाली बेंच ने कहा था कि किराए की कोख गरीब महिलाओं का शोषण कर रही है, जिसके बाद नेपाल में सरोगेसी टूरिज्म पर रोक लगी।

2017 में कार्की के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव 

2017 में उस समय की प्रचंड सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था। आरोप लगाया गया कि वे राजनीतिक दबाव को नज़रअंदाज़ कर फैसले देती हैं। लेकिन कार्की के समर्थन में हजारों लोग काठमांडू की सड़कों पर उतर आए और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनके पक्ष में आदेश दिया। नतीजा यह हुआ कि संसद को प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।

कार्की का निजी जीवन भी रहा सुर्खिया में 

कार्की का निजी जीवन भी सुर्खियों में रहा। उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी कभी क्रांतिकारी आंदोलनों में सक्रिय रहे और 1973 में उन्होंने साथियों के साथ एक विमान हाइजैक किया था। यह घटना नेपाल के इतिहास की पहली हाइजैकिंग थी। हालांकि, कार्की ने पति के विवादित अतीत से दूरी रखते हुए अपनी पहचान मेहनत और ईमानदारी से बनाई।

कार्की का भारत से जुड़ाव गहरा 

सुशीला कार्की का भारत से भी गहरा जुड़ाव है। उन्होंने वाराणसी के बीएचयू से पढ़ाई की और अक्सर कहा कि गंगा किनारे बिताए दिन उनकी जिंदगी की सबसे यादगार यादें हैं। बिराटनगर की रहने वाली कार्की भारत-नेपाल सीमा से बेहद नज़दीक पली-बढ़ी और हिंदी भी समझती हैं।

भारत-नेपाल रिश्ते पर रुख सकारात्मक

भारत-नेपाल रिश्तों पर वे हमेशा सकारात्मक रुख रखती हैं। उनका कहना है कि दोनों देशों की जनता भावनात्मक रूप से जुड़ी है और छोटे-मोटे मतभेद रिश्तों की मजबूती को प्रभावित नहीं कर सकते।

देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर अब कार्की पर राजनीतिक स्थिरता और भ्रष्टाचार विरोधी उम्मीदों का बोझ है। आम लोगों को विश्वास है कि वे अपने सख्त और निष्पक्ष फैसलों  से नेपाल की राजनीति को नई दिशा देंगी।


नेपाल में जेलों से हज़ारों कैदी फरार, हालात बेकाबू

सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बीच भड़की हिंसा

काठमांडू। नेपाल इस समय अभूतपूर्व राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा अब हिंसक प्रदर्शनों में बदल चुका है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि देशभर की जेलों पर भी इसका असर साफ दिखने लगा है। कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच लगातार झड़पें हो रही हैं, जिसमें कुछ कैदी मारे जा चुके हैं और हजारों फरार हो गए हैं। हालात काबू से बाहर होते देख सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है, जबकि नेपाल-भारत सीमा पर भी चौकसी तेज कर दी गई है।

गुरुवार को रामेछाप जिले की जेल में कैदियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक भिड़ंत हो गई। कैदियों ने गैस सिलेंडर से धमाका कर जेल से भागने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों की फायरिंग में तीन कैदियों की मौत हो गई और 13 घायल हो गए।

इससे पहले मंगलवार से अब तक देशभर की 25 से अधिक जेलों में हिंसा भड़क चुकी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार करीब 15,000 कैदी विभिन्न जेलों से फरार हो गए हैं। इनमें काठमांडू की सुंदरहर जेल से 3,300, नक्कू जेल से 1,400 और डिल्लीबजार जेल से 1,100 कैदी शामिल हैं।

अन्य जिलों में भी हालात गंभीर हैं। सुनसरी के झुम्का जेल से 1,575, चितवन से 700, कपिलवस्तु से 459, कैलाली से 612, कंचनपुर से 478 और सिन्धुली से 500 कैदी भाग निकले। रौतहट के गौर जेल में 291 कैदियों में से 260 भाग गए थे, जिनमें से अब तक केवल 31 को ही पकड़ा जा सका है।

स्थिति और भयावह तब हो गई जब पश्चिम नेपाल के बांके जिले के नौबस्ता नाबालिग सुधार गृह में भी हिंसा भड़क उठी। यहां सुरक्षाबलों की गोलीबारी में पांच नाबालिग कैदी मारे गए, जब वे गार्ड से हथियार छीनने की कोशिश कर रहे थे।

नेपाल में लगातार बढ़ते इन घटनाक्रमों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे जेन जेड युवाओं का आंदोलन अब पूरे देश को हिला रहा है।

भारत-नेपाल सीमा पर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। सुरक्षाबलों की निगरानी कड़ी कर दी गई है, क्योंकि आशंका है कि फरार कैदी सीमा पार करने की कोशिश कर सकते हैं।


जानिए कौन हैं सुशीला कार्की, जिन्हें युवा बनाना चाहते हैं नेपाल का अगला पीएम!

Nepal Conflict & Sushila Karki: नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार का तख्तापलट हो चुका है और अब वहां नई अंतरिम सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है। इस बीच सबसे अहम नाम सामने आया है देश की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का। माना जा रहा है कि सेना और राजनीतिक दलों की सहमति से उन्हें अंतरिम सरकार की मुखिया बनाया जा सकता है। गुरुवार को आर्मी चीफ की अगुवाई में होने वाली बैठक को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि आज इस पर बड़ा फैसला हो सकता है।  नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शनों और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच Gen Z की पसंदीदा नेता के रूप में उभारा गया है।

कौन है सुशीला कार्की? 

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को नेपाल के बिराटनगर, जिला मोरांग में हुआ। वे नेपाल की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज रही हैं और न्यायपालिका में अपने साहसिक व निष्पक्ष फैसलों के लिए जानी जाती हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद उन्होंने वकालत और न्यायिक सेवा में कदम रखा। 2016 में उन्हें नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) नियुक्त किया गया। कार्की ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक निर्णय दिए और भ्रष्टाचार के मामलों पर सख्ती दिखाई।

सुशीला कार्की का भारत से रिश्ता 

सुशीला कार्की का भारत से गहरा जुड़ाव रहा है। वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर कर चुकी हैं। वहीं उनकी मुलाकात अपने पति और नेपाल के लोकप्रिय नेता रहे दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी। शिक्षा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की इस कड़ी से उनके भारत के साथ मधुर संबंधों की झलक मिलती है।

भारत के लिए भी संवेदनशील राजनीतिक अस्थिरता 

विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता भारत के लिए भी संवेदनशील विषय है। पूर्व राजदूत रंजीत रे का कहना है कि भारत एक स्थिर नेपाल चाहता है और जनता की आकांक्षाओं से जो भी नेतृत्व उभर कर आएगा, भारत उसके साथ काम करेगा। कार्की का नेतृत्व इस लिहाज से आशाजनक है क्योंकि पिछली ओली सरकार ने चीन की तरफ ज्यादा झुकाव दिखाया था जिससे भारत-नेपाल रिश्तों में दूरी आई थी।

अंतरिम सरकार और नेपाल- भारत के रिश्ते

भारत और नेपाल के बीच 1751 किलोमीटर लंबी खुली सीमा है, जो दोनों देशों के बीच सुरक्षा, सांस्कृतिक और जनसंपर्क संबंधों को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। ऐसे में अगर सुशीला कार्की अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभालती हैं तो यह नेपाल और भारत दोनों के लिए राहत की खबर हो सकती है। नेपाल की जनता ने एक बड़ा बदलाव कर नई उम्मीद जगाई है। अब दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सुशीला कार्की के नेतृत्व में नेपाल लोकतांत्रिक स्थिरता और भारत संग मजबूत संबंधों की दिशा में कदम बढ़ा पाएगा।

नेपाल के मौजूदा हालातों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि नई सरकार बनने पर भारत से उसके रिश्ते कैसे होंगे। इस पर सुशीला कार्की ने अपने पहले इंटरव्यू में ही संकेत दे दिए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की प्रशंसा की और कहा कि वह भारत के नेताओं को सकारात्मक दृष्टि से देखती हैं।


नेपाल में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने लिया हिंसक रूप, कई इलाकों में कर्फ्यू लागू

देशभर में 27 लोग गिरफ्तार, सेना ने शांति बनाए रखने की अपील की

काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने राजनीतिक हालात पूरी तरह बदल दिए हैं। राजधानी काठमांडू समेत देशभर में जेनरेशन जेड की अगुवाई में हो रहे विरोध प्रदर्शनों ने अब हिंसक रूप ले लिया है। आगजनी, लूटपाट और झड़पों के बीच सुरक्षा बलों ने सख्ती बढ़ाते हुए 27 लोगों को गिरफ्तार किया और कई इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गिरफ्तारियां मंगलवार रात से बुधवार सुबह के बीच हुईं।

सुरक्षा बलों ने काठमांडू के गौशाला-चाबाहिल-बौद्ध क्षेत्र से चोरी की गई 33.7 लाख नेपाली रुपये नकद और बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए हैं। इनमें 31 गन, मैगजीन और गोला-बारूद शामिल हैं। झड़पों में 23 पुलिसकर्मी और 3 आम नागरिक घायल हुए, जिनका इलाज सैन्य अस्पतालों में चल रहा है।

कर्फ्यू और निषेधाज्ञा लागू
बढ़ती हिंसा को देखते हुए सेना ने देशभर में कर्फ्यू और निषेधाज्ञा लागू कर दी है। कर्फ्यू गुरुवार सुबह 6 बजे से प्रभावी रहेगा, जबकि निषेधाज्ञा बुधवार शाम 5 बजे तक जारी रहेगी। सेना का कहना है कि हिंसा और लूटपाट में अराजक तत्व शामिल हैं, जिन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।

भारी तबाही और राजनीतिक संकट
इस हिंसा में सबसे ज्यादा नुकसान काठमांडू में हुआ है। हिल्टन होटल जलकर खाक हो गया, राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में तोड़फोड़ और आगजनी हुई। पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनल के घर में आग लगने से उनकी पत्नी की मौत हो गई। कांतिपुर मीडिया ग्रुप के दफ्तर में भी आगजनी हुई।

स्थिति बिगड़ने के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। बता दें कि यह विरोध प्रदर्शन 8 सितंबर से शुरू हुए थे, जब सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया था। आंदोलनकारियों की मुख्य मांग भ्रष्टाचार पर रोक, सरकार में पारदर्शिता और जनता के सवालों के जवाब हैं।


सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नेपाल में हिंसक प्रदर्शन, राजधानी में लगा कर्फ्यू

काठमांडू। नेपाल में सरकार द्वारा बड़े सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ देशभर में विरोध तेज हो गया है। राजधानी काठमांडू सहित कई हिस्सों में आज हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया। दरअसल, नेपाल सरकार ने बीते सप्ताह फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और व्हाट्सएप सहित कई प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगा दी थी। सूचना एवं संचार मंत्रालय के अनुसार इन कंपनियों ने मंत्रालय के पास अनिवार्य पंजीकरण नहीं कराया था, जिसके चलते यह कदम उठाया गया।

हजारों युवा उतरे सड़को पर

सोशल मीडिया प्रतिबंध के विरोध में सोमवार को हजारों युवा सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारी मैतीघर मंडला से संसद भवन की ओर मार्च कर रहे थे। पुलिस और सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की, आंसू गैस छोड़ी और पानी की बौछार की, जबकि कुछ जगहों पर हल्की फायरिंग भी की गई। इस दौरान हिंसक झड़पों में कम से कम एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और 42 अन्य घायल हुए। काठमांडू के न्यू बानेश्वर और झापा जिले के दमक में हालात सबसे गंभीर रहे।

सोशल मीडिया बैन बंद करो

युवाओं का कहना है कि यह प्रदर्शन सिर्फ सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ नहीं, बल्कि सरकार में बढ़ते भ्रष्टाचार, नेतृत्व की गैर-जिम्मेदारी और तानाशाही रवैये के विरोध में है। छात्र और युवा नेताओं ने नारे लगाए: “सोशल मीडिया पर प्रतिबंध बंद करो, भ्रष्टाचार खत्म करो।”

4 सितम्बर को सभी एप्प हुए बंद

सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को 28 अगस्त से पंजीकरण के लिए सात दिन का समय दिया था। जैसे ही समय सीमा समाप्त हुई, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट और लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स का उपयोग नफरत फैलाने और साइबर अपराध के लिए किया जा रहा था।

कौन कौन से एप्स हुए बैन

नेपाल सरकार के आदेश के दायरे में आने वाले प्लेटफॉर्म्स की सूची में दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स शामिल हैं। इनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, एक्स (पहले ट्विटर), यूट्यूब, स्नैपचैट, लिंक्डइन, रेडिट, वाइबर और बॉटिम प्रमुख हैं। ये सभी प्लेटफॉर्म नेपाल में करोड़ों यूज़र्स द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं और सरकार चाहती है कि ये कंपनियाँ स्थानीय स्तर पर पंजीकरण कराए।

पहले भी कई एप्स पर लगा प्रतिबंध

नेपाल इससे पहले भी कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा चुका है। जुलाई में सरकार ने ऑनलाइन धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में बढ़ोतरी का हवाला देते हुए टेलीग्राम ऐप को ब्लॉक कर दिया था। वहीं, अगस्त 2024 में टिकटॉक पर लगाया गया नौ महीने का प्रतिबंध तब हटाया गया जब कंपनी ने नेपाली नियमों का पालन करने पर सहमति जताई।

राजधानी में लगा कर्फ्यू

प्रदर्शन के दौरान ‘हामी नेपाल’ जैसी युवा संगठनों ने पीड़ितों को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई। घटनाओं के बाद राजधानी में कर्फ्यू लगाया गया हैं  साथ ही, सेना को राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री निवास के बाहर तैनात किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्रांति नेपाल के युवाओं की राजनीतिक चेतना और डिजिटल युग में लोकतंत्र की मांग को दर्शाती है।

फिलहाल राजधानी काठमांडू में रात 10 बजे तक कर्फ्यू लागू है और संसद व प्रधानमंत्री आवास के बाहर सेना तैनात कर दी गई है।


पाकिस्तान में बड़ा डेटा लीक, केंद्रीय मंत्रियों तक की जानकारी ऑनलाइन बिक्री पर

कॉल रिकॉर्ड से लेकर विदेश यात्राओं तक की जानकारी ऑनलाइन बिक्री पर उपलब्ध

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में एक बार फिर साइबर सुरक्षा की गंभीर चूक सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हजारों नागरिकों और कई केंद्रीय मंत्रियों का संवेदनशील डेटा लीक होकर ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डेटा में मोबाइल सिम डिटेल्स, कॉल रिकॉर्ड, राष्ट्रीय पहचान पत्र की जानकारी से लेकर विदेश यात्राओं तक की जानकारी शामिल है। बताया जा रहा है कि यह डेटा बेहद कम दामों में बेचा जा रहा है।

ऑनलाइन बिक रहा डेटा, सरकार पर उठे सवाल

इससे पहले भी पाकिस्तान में कई बार डेटा लीक की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन सरकार ठोस कार्रवाई करने में नाकाम रही है। ताजा मामले में मोबाइल लोकेशन डेटा मात्र 500 रुपये में और कॉल रिकॉर्ड 2000 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं, विदेश यात्राओं की जानकारी 5000 रुपये में खरीदी जा सकती है। खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि जिन लोगों का डेटा लीक हुआ है, उनका दुरुपयोग और उत्पीड़न हो सकता है।

जांच के आदेश, बनी 14 सदस्यीय कमेटी

घटना को लेकर आम जनता में नाराजगी बढ़ गई है और लोग सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग कर रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने जांच के आदेश दिए हैं। इस संबंध में 14 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है, जिसे दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

वैश्विक स्तर पर भी बढ़ रहा खतरा

विशेषज्ञों का कहना है कि डेटा लीक अब पूरी दुनिया में एक गंभीर चुनौती बन गया है। हाल ही में साइबर सुरक्षा रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दुनियाभर के करीब 16 अरब लोगों का डेटा लीक हुआ है, जिसे इंटरनेट इतिहास की सबसे बड़ी डेटा चोरी बताया गया।


अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का दावा- टैरिफ नीति ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दी ताकत और वैश्विक वार्ता में बढ़ाया कौशल

ट्रंप ने बाइडन प्रशासन की तुलना अपने कार्यकाल से करते हुए कहा कि उनके पहले चार साल में अमेरिका आर्थिक रूप से पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपने टैरिफ (आयात शुल्क) नीति का जोरदार बचाव किया और इसे “व्यापार के माध्यम से युद्धों को सुलझाने का उपकरण” बताया। उन्होंने कहा कि टैरिफ नीति ने अमेरिका को वैश्विक स्तर पर बेहतरीन बातचीत की क्षमता दी और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की। ट्रंप ने अपने पूर्व राष्ट्रपति बाइडन प्रशासन की नीतियों की आलोचना भी की।

व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में ट्रंप ने टैरिफ को “जादुई उपाय” बताते हुए कहा कि इस नीति के कारण उन्होंने सात युद्धों को सुलझाने में सफलता हासिल की। उन्होंने दावा किया कि टैरिफ ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया और वैश्विक आर्थिक तनाव को नियंत्रित करने में मदद की।

ट्रंप ने बाइडन प्रशासन की तुलना अपने कार्यकाल से करते हुए कहा कि उनके पहले चार साल में अमेरिका आर्थिक रूप से पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ नीति अमेरिका को बेहतर वार्ताकार बनाती है और इसे अपनाने से देश को वित्तीय लाभ भी मिलता है।

भारत के साथ संबंधों पर ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और भारत के रिश्ते अच्छे हैं, लेकिन पिछले कई सालों में यह एकतरफा रहे हैं। उन्होंने भारत पर लगाए गए उच्च टैरिफ का उदाहरण देते हुए कहा कि इस कारण अमेरिका-भारत के बीच व्यापार अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँच पाया। ट्रंप ने हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल के मामले को भी उद्धृत करते हुए कहा कि अमेरिका भारत से शुल्क नहीं ले रहा, जबकि भारत अधिक टैरिफ वसूल रहा है।


पूर्वी अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंप ने मचाई तबाही, 600 से अधिक लोगों की मौत

कुनार और नंगरहार में कई गांव तबाह, राहत कार्य जारी

काबुल। पूर्वी अफगानिस्तान में पाकिस्तान की सीमा के पास आए शक्तिशाली भूकंप ने कई गांवों को तहस-नहस कर दिया है। हादसे में अब तक 620 से अधिक लोगों की मौत और 1,300 से ज्यादा घायल होने की पुष्टि हुई है। बचाव और राहत कार्य जारी हैं और मृतकों तथा घायलों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

तालिबान सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, कुनार और नंगरहार प्रांतों में भूकंप से भारी नुकसान हुआ है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने बताया कि कुनार में 610 लोग मारे गए और 1,300 घायल हुए। नंगरहार में भी दर्जनों लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए हैं।

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार भूकंप की तीव्रता 6.0 थी और इसका केंद्र जलालाबाद से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तर-पूर्व में आठ किलोमीटर गहराई में था। विशेषज्ञों के अनुसार, कम गहराई वाले भूकंप अक्सर अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।

कुनार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि नूर गुल, सोकी, वातपुर, मनोगी और चापादारे जिलों में कम से कम 250 लोगों की मौत हुई और 500 अन्य घायल हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी बताया कि कई गांव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं और राहत कार्य जारी है।

जलालाबाद, जो पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित एक व्यस्त व्यापारिक शहर है, इस आपदा से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। शहर की अधिकांश इमारतें कम ऊँचाई वाली हैं और बाहरी इलाके में मिट्टी और लकड़ी के घर हैं, जो भूकंप में आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

इससे पहले, 7 अक्टूबर 2023 को भी 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें तालिबान सरकार के अनुसार लगभग 4,000 लोगों की मौत हुई थी। संयुक्त राष्ट्र ने इस संख्या को लगभग 1,500 बताया था।


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