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ट्रंप का बयान फिर चर्चा में, बोले – अब तक सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रुकवाया, भारत-पाक भी शामिल

Category Archives: अंतर्राष्ट्रीय

ट्रंप का बयान फिर चर्चा में, बोले – अब तक सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रुकवाया, भारत-पाक भी शामिल

ट्रंप बोले – टैरिफ से अमेरिका हुआ मजबूत और दुनिया में फैली शांति

वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए मई महीने के संघर्ष को रोकने का श्रेय खुद को दिया है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों परमाणु शक्तियों के बीच तनाव को कम करने में “टैरिफ यानी आयात शुल्क” को एक राजनयिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।

ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा

“टैरिफ हमारे लिए बहुत प्रभावशाली साधन हैं। ये न केवल अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाते हैं, बल्कि युद्ध रोकने में भी मददगार साबित होते हैं। अगर मैंने टैरिफ की ताकत का इस्तेमाल न किया होता, तो आज चार बड़े युद्ध चल रहे होते।”

ट्रंप ने कहा कि उस वक्त भारत और पाकिस्तान दोनों ही “हमले के लिए तैयार” थे, सात विमान गिराए गए थे, लेकिन उनकी कूटनीतिक पहल के बाद हालात शांत हुए। उन्होंने कहा,

“मैं यह नहीं बताना चाहता कि मैंने क्या कहा था, लेकिन जो भी कहा, उसने असर दिखाया। दोनों देश रुक गए — और यह सब व्यापार व टैरिफ की वजह से संभव हुआ।”

भारत का जवाब: संघर्ष विराम हमारी सीधी बातचीत से हुआ

ट्रंप के इस दावे पर भारत पहले भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है। नई दिल्ली ने कहा था कि मई में हुआ संघर्ष विराम किसी तीसरे देश की मध्यस्थता से नहीं, बल्कि दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच सीधी बातचीत के बाद हुआ था।

भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था। इस कार्रवाई में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया था। चार दिन तक चली कार्रवाई के बाद 10 मई को संघर्ष विराम समझौता हुआ।

तब भी ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसका श्रेय लेने की कोशिश की थी, जिस पर भारत ने साफ इनकार किया था।

ट्रंप के ‘सात युद्ध रोकने’ के दावे पर बहस

ट्रंप ने अपने हालिया बयान में कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अब तक सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को रुकवाया है — जिनमें भारत-पाकिस्तान, कंबोडिया-थाईलैंड, कोसोवो-सर्बिया, कॉन्गो-रवांडा, इस्राइल-ईरान, मिस्र-इथियोपिया और आर्मेनिया-अजरबैजान शामिल हैं।

उनका दावा है कि इन युद्धों को उन्होंने “ट्रेड और टैरिफ की ताकत” से रोका।

“अगर मेरे पास टैरिफ न होते, तो आज भी चार युद्ध चल रहे होते और रोज़ हजारों लोग मारे जा रहे होते,”
ट्रंप ने कहा।


गाजा संघर्ष पर भारत का रुख साफ, पीएम मोदी ने स्थायी शांति का किया समर्थन

PM Modi appreciates Donald Trump Gaza Peace Efforts: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा में शांति बहाल करने के प्रयासों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सराहना की है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “गाजा में शांति प्रयासों में निर्णायक प्रगति के बीच हम राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व का स्वागत करते हैं। बंधकों की रिहाई के संकेत एक महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत स्थायी और न्यायसंगत शांति की दिशा में सभी प्रयासों का दृढ़ता से समर्थन करता रहेगा।”

पीएम मोदी का ट्वीट जिसमें उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के गाजा शांति प्रयासों की सराहना की

संघर्षविराम के लिए रखी 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में संघर्षविराम के लिए 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव रखा है। इस्राइल ने इसे स्वीकार कर लिया है, जबकि हमास ने बंधकों की रिहाई और सत्ता हस्तांतरण पर हामी भरी है। हालांकि प्रस्ताव के कई बिंदुओं पर अभी चर्चा बाकी है।

हमास ने बंधको को रिहा करने पर जताई सहमति

ट्रंप ने हमास को रविवार शाम तक का अल्टीमेटम दिया था। इसके बाद हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को बंधक बनाए गए इस्राइली नागरिकों को रिहा करने पर सहमति जताई। जानकारी के मुताबिक 48 बंधकों में से 20 की मौत हो चुकी है, शेष की रिहाई 72 घंटे में होगी। इसके बदले इस्राइल ने गाजा में सैन्य हमले रोकने और चरणबद्ध तरीके से सेना हटाने की शर्त स्वीकार की है।

शांति प्रस्ताव से गाजा बनेगा आतंक मुक्त

शांति प्रस्ताव में गाजा को आतंक मुक्त क्षेत्र बनाने, पुनर्निर्माण और मानवीय सहायता बढ़ाने, फलस्तीनी प्रशासन को सत्ता सौंपने और भविष्य में फलस्तीनी राज्य का रास्ता खोलने जैसे बिंदु शामिल हैं। यह समझौता अगर पूरी तरह लागू होता है तो गाजा क्षेत्र में वर्षों से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम माना जाएगा।


मोरक्को में हिंसक प्रदर्शन, तीन युवाओं की हुई मौत

सरकार ने संवाद और सुधार की राह अपनाने का दिया आश्वासन

रबात। मोरक्को में सरकार विरोधी प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। बीते दिनों बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतरे और सुरक्षा बलों से उनकी झड़प हो गई, जिसमें तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। हालात बिगड़ने के बाद अब सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह युवाओं की समस्याओं का समाधान करने और संवाद की राह अपनाने को तैयार है।

प्रधानमंत्री अजीज अखन्नौच ने मंत्रिपरिषद की बैठक में कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों की शिकायतों को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने में जुटे सुरक्षा बलों की सराहना की। पीएम ने साफ किया कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य मूलभूत सुविधाओं को लेकर उठाई जा रही मांगों पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है।

सरकारी बयान के मुताबिक, हाल के दंगों में 354 लोग घायल हुए हैं, जिनमें अधिकांश पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैंकों, दुकानों और सार्वजनिक भवनों को नुकसान पहुंचाया है। गृह मंत्रालय ने दावा किया कि मृतक प्रदर्शनकारी पुलिस के हथियार छीनने की कोशिश कर रहे थे, हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।

अधिकारियों के अनुसार, देश के 23 प्रांतों में फैले इन प्रदर्शनों में करीब 70 प्रतिशत प्रतिभागी नाबालिग हैं। वहीं, युवाओं के नेतृत्व में जारी यह आंदोलन फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है।


ट्रंप की चेतावनी—हमास के पास प्रस्ताव मानने के लिए सिर्फ 3-4 दिन

इस्राइल ने किया अमेरिकी शांति पहल का समर्थन, हमास के रुख पर टिकी नजरें

वॉशिंगटन। अमेरिकी शांति प्रस्ताव पर हमास ने तुरंत फैसला नहीं किया; उसने प्रस्ताव पर विचार करने और अन्य फलस्तीनी समूहों से परामर्श करने का ऐलान किया है। ट्रंप ने हमास को प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया के लिए “तीन-चार दिन” का समय दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किए गए गाजा के लिए शांति प्रस्ताव पर हमास ने तत्काल निर्णय नहीं लिया है। हमास ने कहा है कि वह प्रस्ताव की समीक्षा करेगा और अन्य फलस्तीनी गुटों के साथ इस पर चर्चा करेगा। इस बीच इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस प्रस्ताव का समर्थन कर चुके हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि हमास भी इसे स्वीकार करेगा या नहीं।

ट्रंप ने कहा है कि प्रस्ताव में हमास को प्रभावी रूप से हथियार डालने के बदले गाजा में युद्धविराम और मानवीय तथा पुनर्निर्माण सहायता का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमास के पास प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देने के लिए केवल “तीन-चार दिन” हैं और अगर वे सहमति नहीं देते तो परिणाम बहुत दुखद हो सकते हैं। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि प्रस्ताव पर बातचीत की गुंजाइश सीमित है और यदि हमास असहमत रहता है तो वे इस्राइल का समर्थन करेंगे।

कतर और मिस्र के अधिकारियों ने यह प्रस्ताव हमास के वार्ताकारों के समक्ष रखा है और वे फिलहाल इसकी समीक्षा कर रहे हैं। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि वह गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए तैयार है और सहायता वितरण संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों व रेड क्रिसेंट के जरिए किया जाएगा—बशर्ते सहायता को निष्पक्ष और बिना बाधा पहुंचाया जा सके।

धार्मिक नेताओं की भी अपीलें आई हैं: पोप लियो ने हमास से शांति प्रस्ताव स्वीकार करने, तुरंत युद्धविराम करने और बंधकों की रिहाई का आग्रह किया है। पोप ने इसे यथार्थवादी पहल बताया और उम्मीद जताई कि हमास निर्धारित समय में फैसला करेगा।

स्थिति फिलहाल संवेदनशील बनी हुई है — वक्तसीमाएँ, अंतरराष्ट्रीय दबाव और क्षेत्रीय मध्यस्थता मिलकर अगले कुछ दिनों में घटनाक्रम तय करेंगी। मानवीय सहायता, बंधकों की सुरक्षा और स्थानीय लोगों की सुरक्षा इस पूरे प्रस्ताव के सबसे अहम पहलू बने हुए हैं।


क्वेटा में बड़ा धमाका- 10 की मौत, 20 से ज्यादा घायल

धमाके से सड़क पर खड़ी गाड़ियां और इमारतें क्षतिग्रस्त

क्वेटा। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा मंगलवार को एक भीषण धमाके से दहल उठी। फ्रंटियर कॉर्प्स (FC) मुख्यालय के पास जरघुन रोड पर हुए इस हमले में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। विस्फोट के बाद पूरे इलाके में अफरातफरी और दहशत का माहौल फैल गया।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, यह हमला आत्मघाती बम धमाका था। हमलावर ने खुद को उड़ा लिया, जिसके तुरंत बाद भारी गोलीबारी शुरू हो गई। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए छह आतंकियों को ढेर कर दिया, जिनमें आत्मघाती हमलावर भी शामिल था।

धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास की इमारतों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं। कई गाड़ियां, मोटरसाइकिल और रिक्शे पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। मौके से उठता काला धुआं आसमान तक दिखाई देता रहा। क्वेटा के सिविल अस्पताल ने पुष्टि की कि मृतकों के 10 शव अस्पताल लाए गए हैं और 20 से ज्यादा घायल भर्ती हैं, जिनमें कई की हालत नाजुक है।

राहत दलों ने तुरंत घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया। इस बीच सुरक्षा बलों ने इलाके को सील कर दिया और बम डिस्पोजल स्क्वॉड को मौके पर तैनात किया गया। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री मीर सरफराज बुगटी ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि सुरक्षाबलों और नागरिकों की कुर्बानियां व्यर्थ नहीं जाएंगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रदेश को हर हाल में सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाया जाएगा।

पिछले दिनों भी हमले
गौरतलब है कि 24 सितंबर को भी बलूचिस्तान के मुस्तुंग इलाके में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना बनाया गया था, जिसमें 12 लोग घायल हुए थे। वहीं, 23 सितंबर को क्वेटा रेलवे स्टेशन के पास पटरियों पर भी धमाका हुआ था।


गाजा में इस्राइली हमलों से 38 लोगों की मौत

नुसेरात कैंप में एक ही परिवार के 9 सदस्य मारे गए, तुफाह इलाके में घर ढहने से 11 की जान गई

गाजा। गाजा में इस्राइली हवाई हमलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात हुए हमलों में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्धविराम की अपीलें तेज हो रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू हमले रोकने के बजाय और कड़े रुख पर कायम हैं।

शनिवार तड़के मध्य और उत्तरी गाजा में कई घरों पर बमबारी हुई। नुसेरात शरणार्थी शिविर में एक ही परिवार के नौ सदस्य मारे गए, जबकि गाजा सिटी के तुफाह इलाके में एक घर पर हुए हमले में 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें आधे से ज्यादा महिलाएं और बच्चे थे। एक अन्य शिविर पर हमले में चार और लोगों की जान गई।

अस्पताल और मानवीय संकट

लगातार बमबारी से गाजा के अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र लगभग ढह चुके हैं। कई अस्पताल दवाओं, उपकरणों और ईंधन की कमी से जूझ रहे हैं। दो क्लिनिक पूरी तरह नष्ट हो गए हैं और कई डॉक्टर-नर्स सुरक्षा कारणों से अस्पताल छोड़ने को मजबूर हुए हैं। ‘डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ ने भी शुक्रवार को गाजा सिटी में अपनी सेवाएं निलंबित कर दीं, क्योंकि इस्राइली टैंक उनके स्वास्थ्य केंद्रों के बेहद करीब पहुंच गए थे।

गाजा प्रशासन के मुताबिक, 12 सितंबर से राहत सामग्री की आपूर्ति बंद है और अब तक 65,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जबकि 1.67 लाख घायल हैं। मृतकों में लगभग आधी संख्या महिलाओं और बच्चों की है।

संयुक्त राष्ट्र में विवादित भाषण

शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई देशों के प्रतिनिधि हॉल से बाहर चले गए। भाषण के बीच विरोध के नारे लगे, हालांकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल उनके साथ खड़ा दिखा। कुछ हिस्सों में तालियां भी गूंजीं। अपने संबोधन में नेतन्याहू ने ‘अभिशाप’ नामक क्षेत्रीय मानचित्र दिखाते हुए गाजा में जारी अभियान को जायज ठहराया।

अमेरिका की कोशिशें

उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि गाजा युद्ध को खत्म करने और बंधकों की रिहाई को लेकर समझौता करीब है। उन्होंने संकेत दिया कि जल्द ही इस्राइल और फलस्तीन के बीच शांति वार्ता की रूपरेखा तय की जा सकती है। इस बीच, अमेरिका ने 21 बिंदुओं वाला एक शांति प्रस्ताव कई देशों के साथ साझा किया है, जिसमें बंधकों की सुरक्षित रिहाई और मानवीय आपूर्ति बहाल करने पर जोर दिया गया है।


यमन की राजधानी सना में इस्राइल के हवाई हमले में 9 की मौत, कई घायल

हूथी ड्रोन हमले के जवाब में इस्राइल ने सना में किया हमला

सना। यमन की राजधानी सना में इस्राइल के हवाई हमले में कम से कम नौ लोग मारे गए और कई घायल हुए। हूथी विद्रोहियों ने शुक्रवार को इस जानकारी की पुष्टि की। यह हमला गाजा संघर्ष को लेकर बढ़ते तनाव के बीच आया है।

हमले का सिलसिला गुरुवार से शुरू हुआ, जब हूथियों ने दक्षिणी इस्राइल के ईलात शहर पर ड्रोन हमला किया, जिसमें 22 लोग घायल हुए थे। इसके जवाब में इस्राइल ने सना में हवाई हमले किए।

हूथी नियंत्रित क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मृतकों में चार बच्चे, दो महिलाएं और तीन बुजुर्ग शामिल हैं। इसके अलावा, 59 बच्चे, 35 महिलाएं और 80 बुजुर्ग घायल हुए हैं। राहतकर्मी अभी भी मलबे के नीचे फंसे लोगों की तलाश कर रहे हैं, इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

इस्राइली सेना का बयान:
इस्राइली सेना ने कहा कि उन्होंने सना में हूथी सैन्य कमांड सेंटर, कैंप और सुरक्षा केंद्रों को निशाना बनाया।

हूथियों का दावा:
हूथी प्रवक्ता ने बताया कि इस्राइली हमलों ने आवासीय इलाकों और बिजली की सुविधाओं को नुकसान पहुंचाया, हालांकि उनकी सुरक्षा प्रणालियों ने कई हमलों को रोकने में मदद की।

स्थानीय निवासी की प्रतिक्रिया:
सना के स्थानीय निवासी के अनुसार, एक हमले में हूथी नेता के भवन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आस-पास के कई घर और वाहन भी प्रभावित हुए। विस्फोट के बाद पूरे इलाके में धूल और काले धुएं का गुबार फैल गया।

यह संघर्ष फिलहाल गाजा युद्ध में फलस्तीनियों के समर्थन में जारी है, जिसमें हूथी मिसाइल और ड्रोन से इस्राइल पर हमले कर रहे हैं और इस्राइल लगातार जवाबी कार्रवाई कर रहा है।


रूस-यूक्रेन युद्ध में फिर बढ़े हमले, मास्को की ओर बढ़ रहे 40 से अधिक ड्रोन नष्ट

कीव। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने एक बार फिर खतरनाक रूप ले लिया है। रूस ने मास्को की ओर बढ़ रहे 40 से अधिक यूक्रेनी ड्रोन मार गिराने का दावा किया है, जबकि यूक्रेन ने रूसी हमलों में दो नागरिकों की मौत की पुष्टि की है। इसी बीच, राष्ट्रपति जेलेंस्की न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं।

लगातार तीन साल से अधिक समय से युद्ध का सामना कर रहे यूक्रेनी सैनिकों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जेलेंस्की इस हफ्ते न्यूयॉर्क में वैश्विक नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं और युद्धविराम व हथियार सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं।

अमेरिकी सहयोग:
जेलेंस्की ने अमेरिकी विशेष दूत कीथ केलॉग से मुलाकात की, जिसमें यूक्रेन की ड्रोन निर्माण और हथियार खरीद में सहयोग पर चर्चा हुई। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम यूक्रेन को तकनीकी बढ़त दिला सकता है।

यूरोप और नाटो की चिंता:
यूरोपीय देश जेलेंस्की की कूटनीति का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन इस्राइल-हमास संघर्ष भी संयुक्त राष्ट्र में मुख्य विषय बना हुआ है। एस्टोनिया ने रूसी विमानों के अपनी सीमा में प्रवेश की शिकायत की, जिस पर नाटो ने औपचारिक चर्चा बुलाई है।

युद्ध में बढ़ते हमले:
यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार रूस ने रातभर में तीन इस्कंदर मिसाइलें और 115 ड्रोन दागे, जिनमें से अधिकांश को मार गिराया गया। मिसाइल हमलों में जापोरिज्जिया और ओडेसा क्षेत्रों में दो नागरिकों की मौत हुई।

नागरिकों पर संकट:
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि 2025 के पहले आठ महीनों में यूक्रेनी नागरिक हताहतों की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ गई है। रिपोर्ट में कहा गया कि रूस ने कब्जे वाले इलाकों में हजारों नागरिकों को हिरासत में लिया और उनके साथ यातना व यौन हिंसा जैसी घटनाएँ हुईं।

रूस का दावा:
रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उसने 69 यूक्रेनी ड्रोन मार गिराए। मास्को में उड़ानें कुछ समय के लिए बाधित हुईं और मेयर सर्गेई सोब्यानिन ने राजधानी की ओर बढ़ रहे दर्जनों ड्रोन को नष्ट करने का दावा किया।


H-1B वीजा शुल्क में भारी बढ़ोतरी से मचा हड़कंप, भारतीय पेशेवर सबसे ज्यादा प्रभावित

वाशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्क में भारी इजाफे की घोषणा ने आईटी और टेक सेक्टर में खलबली मचा दी है। नए प्रस्ताव के अनुसार, H-1B वीजा पर काम करने वाले विदेशी पेशेवरों के लिए अब सालाना शुल्क $100,000 (करीब ₹83 लाख) तक हो सकता है। इसका सबसे बड़ा असर भारतीय आईटी पेशेवरों पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

माइक्रोसॉफ्ट और जेपी मॉर्गन की चेतावनी

ट्रंप के एलान के बाद माइक्रोसॉफ्ट, जेपी मॉर्गन और कई अन्य मल्टीनेशनल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को सतर्क रहने की सलाह दी है। माइक्रोसॉफ्ट ने एक आंतरिक ईमेल एडवाइजरी जारी करते हुए H-1B और H-4 वीजा धारकों से निकट भविष्य में अमेरिका में ही रहने और जल्द लौटने की सिफारिश की है। कंपनी ने अमेरिका से बाहर मौजूद वीजा धारक कर्मचारियों को तत्काल वापस लौटने का आग्रह किया है। वहीं जेपी मॉर्गन के इमिग्रेशन काउंसल ने भी कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने और अगली सूचना तक अमेरिका में ही बने रहने की सलाह दी है।

ट्रंप का तर्क, “केवल सर्वश्रेष्ठ को देंगे प्रवेश”

ओवल ऑफिस में वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक की मौजूदगी में ट्रंप ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, “हमें कामगारों की ज़रूरत है, बेहतरीन कामगारों की। यह शुल्क यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिका में केवल असाधारण प्रतिभाएं ही प्रवेश पाएं, जो अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां न छीनें बल्कि उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करें।”

ट्रंप ने यह भी कहा कि वीजा शुल्क से जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल सरकारी कर्ज चुकाने और करों में कटौती के लिए किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि इस कदम से अमेरिका के खजाने को 100 अरब डॉलर से अधिक का लाभ होगा।

व्हाइट हाउस की दलील, “H-1B प्रणाली का हो रहा दुरुपयोग”

व्हाइट हाउस के स्टाफ सचिव विल शार्फ के अनुसार, H-1B वीजा कार्यक्रम अमेरिकी इमिग्रेशन प्रणाली में सबसे अधिक दुरुपयोग होने वाले विकल्पों में से एक बन चुका है। उनका कहना है कि यह वीजा ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाले विदेशी कामगारों को अनुमति देता है जहां अमेरिकी नागरिक कार्य नहीं करते, लेकिन इसका इस्तेमाल व्यापक रूप से कम वेतन वाले कामगारों को लाकर अमेरिकी कर्मचारियों की जगह लेने के लिए किया जा रहा है।

क्या है H-1B वीजा?

H-1B वीजा एक गैर-अप्रवासी (Non-Immigrant) वीजा है जो अमेरिका (USA) उन विदेशी नागरिकों को देता है जो किसी विशेष पेशेवर क्षेत्र जैसे इंजीनियरिंग, आईटी, विज्ञान, फाइनेंस, मेडिकल आदि में विशेष कौशल या डिग्री रखते हैं और अमेरिकी कंपनियों के लिए अस्थायी रूप से काम करना चाहते हैं।

भारतीय पेशेवरों पर सबसे बड़ा असर

भारत, खासकर आईटी सेक्टर, से हर साल हजारों पेशेवर H-1B वीजा के तहत अमेरिका जाते हैं। ऐसे में इस फैसले का सीधा असर भारतीय आईटी कंपनियों और कर्मचारियों पर पड़ने की आशंका है। नई नीति के तहत भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में स्थायी रोजगार प्राप्त करना न सिर्फ महंगा, बल्कि जटिल भी हो सकता है।


Nepal SC in White Tent: नेपाल में अंतरिम सरकार के बीच सुप्रीम कोर्ट ने टेंट में शुरू किया कामकाज

काठमांडू। नेपाल में हाल ही में बने अंतरिम सरकार के बीच न्यायपालिका ने धीरे-धीरे कामकाज फिर से शुरू कर दिया है। बीते सप्ताह हिंसक प्रदर्शनों में सरकारी इमारतों को आग के हवाले कर दिया गया था, जिसमें नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की इमारत भी बुरी तरह से जलकर खाक हो गई। हालात को सामान्य करने की दिशा में कदम उठाते हुए रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी कार्यवाही अस्थायी टेंट में शुरू की।

सुप्रीम कोर्ट परिसर में लगाया सफ़ेद टेंट

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट परिसर में सफेद टेंट लगाए गए जिन पर ‘सुप्रीम कोर्ट नेपाल’ लिखा था। इन टेंटों में अदालत के कर्मचारी मौजूद रहे और मुकदमों की नई तारीखें दी गईं। हालांकि, परिसर के चारों ओर अभी भी जले हुए वाहनों का ढेर नजर आया, जो हिंसक घटनाओं की भयावह तस्वीर बयां करता है।

सबसे बड़ी चिंता क्या?

सबसे बड़ी चिंता यह है कि आगजनी में कम से कम 26,000 मामलों के रिकॉर्ड और लगभग 36,000 फाइलें नष्ट हो गईं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पूर्ण मान शाक्य ने पुष्टि की कि दस्तावेजों की इस बड़ी क्षति से न्यायिक प्रक्रिया पर गहरा असर पड़ेगा। वहीं, नेपाल की नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने भी इस नुकसान को गंभीर बताया और कहा कि न्यायपालिका को अब सभी रिकॉर्ड और फाइलों को नए सिरे से तैयार करना होगा।

पहले दिन ली मामलों की जानकारी 

नेपाली मीडिया ‘खबरहब’ के अनुसार, कोर्ट ने पहले दिन केवल मामलों की जानकारी दर्ज की और कुछ नए रिट याचिकाएं स्वीकार कीं। हालांकि, पुराने मामलों की सुनवाई अभी स्थगित रखी गई है क्योंकि संबंधित दस्तावेज फिलहाल उपलब्ध नहीं हैं। कोर्ट ने फिलहाल तारीखें देकर मामलों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।

व्यवस्थाओं को पटरी में लाने की कोशिश  

सेना ने हालात संभालने के लिए कर्फ्यू में कुछ ढील दी है, लेकिन देश में अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट की टेंट में शुरू हुई कार्यवाही इस बात का संकेत है कि नेपाल अपनी लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में है।


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