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भारत-अमेरिका नौसैनिक सहयोग को नई मजबूती, डिएगो गार्सिया के पास हुआ संयुक्त अभ्यास

भारत-अमेरिका नौसैनिक सहयोग को नई मजबूती, डिएगो गार्सिया के पास हुआ संयुक्त अभ्यास

भारत-अमेरिका नौसैनिक सहयोग को नई मजबूती, डिएगो गार्सिया के पास हुआ संयुक्त अभ्यास

वॉशिंगटन। भारत और अमेरिका की नौसेनाओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सामरिक सहयोग को और मजबूत करते हुए डिएगो गार्सिया के पास संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया। यह अभ्यास मुख्य रूप से पनडुब्बी-रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare) और समुद्री क्षेत्र की निगरानी क्षमताओं पर केंद्रित रहा।

अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए लिखा, “भारतीय और अमेरिकी नौसेनाएं एक साथ उड़ान भर रही हैं। डिएगो गार्सिया के पास हुआ संयुक्त पी-8 प्रशिक्षण न केवल पनडुब्बी-रोधी युद्ध कौशल को मजबूत करता है, बल्कि समुद्री जागरूकता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सामूहिक सुरक्षा को भी सशक्त बनाता है।”

यह संयुक्त अभ्यास 22 से 28 अक्टूबर के बीच आयोजित किया गया। इसमें अमेरिकी नौसेना के P-8A Poseidon और भारतीय नौसेना के P-8I विमान ने हिस्सा लिया। दोनों देशों की टीमों ने एक साथ उड़ान भरते हुए समुद्री गश्त, संचार समन्वय और टोही अभियानों में सहयोग किया।

अमेरिकी रक्षा सूचना वितरण सेवा (DVIDS) के अनुसार, यह अभ्यास ‘कमांडर टास्क फोर्स 72 (CTF-72)’ के तहत हुआ, जो सातवें बेड़े के समुद्री गश्ती और टोही अभियानों का नियंत्रण केंद्र है। इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से निगरानी, सुरक्षा और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाना है।

भारतीय P-8I विमान के डिएगो गार्सिया पहुंचने के बाद दोनों देशों के चालक दल ने अभ्यास के लिए संयुक्त योजना तैयार की। इस दौरान समुद्री खुफिया जानकारी साझा करने और समन्वित प्रतिक्रिया की रणनीतियों पर विशेष ध्यान दिया गया। अभ्यास का समापन एक संयुक्त उड़ान मिशन और द्विपक्षीय पनडुब्बी-रोधी अभियान के साथ हुआ।

यह प्रशिक्षण ‘टाइगर ट्रायम्फ 2025’ जैसे पहले हुए सहयोगी अभियानों पर आधारित रहा, जिनमें दोनों देशों ने संयुक्त संचार, उपग्रह और मानव रहित तकनीकों (Unmanned Systems) के इस्तेमाल से आपसी तालमेल और युद्ध तैयारी में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की थी।

अमेरिकी नौसेना का सातवां बेड़ा हिंद-प्रशांत में अग्रिम पंक्ति पर तैनात सबसे बड़ा बेड़ा है, जो क्षेत्र में स्वतंत्र और खुले समुद्री क्षेत्र (Free and Open Indo-Pacific) की रणनीति को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।


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