Happy Mahashivratri 2023 LIVE Updates: आज पूरे देश में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। महादेव को प्रसन्न करने और उनकी पूजा करने के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बेहद खास माना जाता है। आज हर हर महादेव की गूंज हर घर हर गली में सुनाई दे रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

भगवान शिव आसानी से प्रसन्न होने वाले देवता हैं और उनकी पूजा बहुत ही सरल मानी जाती है। एक गिलास पानी से ही भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है। लेकिन भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- भगवान शिव की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- केतकी का फूल भगवान शिव के लिए वर्जित माना गया है।
- भगवान शिव को दूध या जल अर्पित करते समय इसका सेवन न करें बल्कि इसे प्रसाद के रूप में सिर और आंखों पर लगाएं।
- पूजा के बाद शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें।
शिवरात्रि: महाशिवरात्रि 2023 पूजा सामग्री
- भगवान शिव या छोटे शिवलिंग, बेलपत्र की तस्वीर
- भांग
- धतूरा
- फूलों की माला
- शमी चले गए
- कमल और सफेद फूल
- गंगाजल, महादेव के लिए वस्त्र
- गाय का दूध, दही, चीनी
- जनेऊ, चंदन, केसर, अक्षत

महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि व्रत पारण का शुभ मुहूर्त कल यानी 19 फरवरी 2023 को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 25 मिनट तक रहेगा.
महाशिवरात्रि: भगवान शिव के हाथ में क्यों है त्रिशूल और डमरू?
भगवान शिव का स्वरूप बहुत ही निराला और निराला है। शिवजी के श्रृंगार में त्रिशूल का विशेष स्थान है। त्रिशूल भौतिक, दैवीय और आध्यात्मिक धाराओं के साथ-साथ शक्ति का भी प्रतीक है। त्रिशूल के तीन दांत भूत, भविष्य और वर्तमान का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो क्रमशः सत्, रज और तम गुणों से प्रभावित होते हैं। त्रिशूल के माध्यम से, सृष्टि के खिलाफ सोचने वाले राक्षसों को युगों से मार दिया गया है। डमरू उस अनंत नाद का घटक है जिसकी आकांक्षा हर कोई करता है।
महाशिवरात्रि: शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाई जाती तुलसी?
आज भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और आराधना का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. भगवान शिव को जल, गंगाजल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, दूध, दही और घी चढ़ाया जाता है। लेकिन हिंदू धर्म में सबसे पवित्र चीज मानी जाने वाली तुली चढ़ाना वर्जित माना जाता है। आखिर क्यों ? इसके पीछे कारण यह है कि भगवान शिव ने तुल्ती के पति शंखचूड़ राक्षस का वध किया था, इस कारण भगवान शिव की पूजा में तुल्ती के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते हैं।
महाशिवरात्रि: आज कैसे करें शिवलिंग का रुद्राभिषेक?
हिंदू धर्म में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। शिलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
- रुद्राभिषेक करते समय दिशा का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। रुद्राभिषेक में भक्त का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।
- सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं और अभिषेक करते हुए लगातार भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।
- आपको अभिषेक के दौरान भगवान शिव के विभिन्न मंत्रों जैसे महामृत्युंजय मंत्र, शिव तांडव स्तोत्र, रुद्र मंत्र और ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।
- गंगाजल से अभिषेक करने के बाद शिवलिंग पर गन्ने का रस, शहद, दूध, दही और बेल पत्र चढ़ाएं।
- फिर इसके बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और सभी प्रकार की पूजा सामग्री अर्पित करें।
महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि पूजा विधि 2023
आज के दिन सबसे पहले स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें। फिर इसके बाद अपने घर के पास के मंदिर में जाकर भगवान शिव के दर्शन कर पूजा शुरू करें। पूजा में शिवजी को चंदन, मोली, पान, सुपारी, अक्षत, पंचामृत, बिल्वपत्र, धतूरा, फल-फूल, नारियल आदि अर्पित करें। भगवान शिव को अत्यंत प्रिय भगवान शिव को चिकनी ओर से धोकर चंदन अर्पित करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का अधिक से अधिक बार जाप करें।
महाशिवरात्रि: जानिए महाशिवरात्रि का महत्व
शिवपुराण में महाशिवरात्रि व्रत का महत्व बताया गया है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने और मंत्र जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन विधि-विधान से भोलेनाथ की पूजा करें। शिव मंत्रों का जाप शास्त्रों के विधान के अनुसार करें।
शिवरात्रि: भोलेनाथ को शमी पत्र भी प्रिय है
शमी का पत्र भी भगवान शिव की पूजा में शामिल है। शमी के पत्ते शनिदेव को अत्यंत प्रिय हैं, लेकिन शिवलिंग पर ये पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं। शिवलिंग पर अभिषेक करने के बाद शमी के पत्ते चढ़ाएं। ऐसा करने से भोलेनाथ के साथ-साथ शनिदेव की भी कृपा बनी रहेगी।
शिवरात्रि: भोलेभंडारी को क्यों चढ़ाया जाता है भांग?
भगवान भोलेनाथ को भांग और धतूरा अर्पित किया जाता है। दरअसल इसी पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव हर तरह के मन के विकार और बुराईयों को दूर करते हैं। इस कारण से भांग शिव जी को अर्पित की जाती है। वहीं भांग एक औषधि का काम भी करती है, जब भगवान शिव ने विषपान किया था तब इसके प्रभाव से भगवान का पूरा शरीर तपने लगा था। तब भगवान के इस ताप को कम करने के लिए भांग के पत्ते सभी देवी-देवताओं ने शिवजी पर चढ़ाए थे।
Mahashivratri 2023: इस बार महाशिवरात्रि और शनि प्रदोष का विशेष संयोग
आज महाशिवरात्रि और शनि प्रदोष व्रत दोनों का ही संयोग है। महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत दोनों ही महादेव को समर्पित होने वाला त्योहार है। प्रदोष व्रत और महाशिवरात्रि के संयोग से भगवान शिव की पूजा करना बहुत ही शुभ और लाभदायी रहेगा।
Shivratri Shiv Ji Ki Aarti: महाशिवरात्रि पर पूजा के बाद शिव आरती जरूर करें
भगवान शिव की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।
शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।
ओम जय शिव ओंकारा।।
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।
ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय शिव ओंकारा।।