गुरुग्राम – देश के रक्षाकर्मी रहे एक सेवानिवृत्त वायुसेना अधिकारी और उनके परिवार को साइबर अपराधियों ने बेहद चौंकाने वाले तरीके से ठगी का शिकार बनाया। फर्जी अधिकारियों और बनावटी कानूनी प्रक्रियाओं का सहारा लेते हुए जालसाजों ने पूरे परिवार को 37 दिन तक मानसिक दबाव और डर के माहौल में ‘डिजिटल कैद’ में रखा और इस दौरान उनसे करीब ₹3.22 करोड़ की ठगी कर ली।
कैसे हुआ पूरा घटनाक्रम?
सेक्टर-25 निवासी सुबीर मित्रा की बेटी मलोबिका मित्रा द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत के अनुसार, 16 जुलाई को उनके घर पर एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को TRAI (दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके नाम से पंजीकृत एक मोबाइल नंबर का उपयोग आपत्तिजनक संदेश भेजने में हो रहा है।
इसके बाद कॉल को कथित तौर पर मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी से जोड़ा गया, जिसने दावा किया कि सुबीर मित्रा के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर केनरा बैंक, मुंबई में एक खाता खोला गया है, जिसका संबंध एक हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग केस (नरेश गोयल प्रकरण) से है।
डर और भ्रम का माहौल बनाकर किया ‘डिजिटल अरेस्ट’
ठगों ने परिवार को बताया कि उनके खिलाफ ग़ैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है और उन्हें तत्काल मुंबई पहुंचना होगा। जब परिवार घबरा गया, तो जालसाजों ने उन्हें सलाह दी कि जांच पूरी होने तक वे घर पर ही रहें, किसी से संपर्क न करें — यही से शुरू हुआ 37 दिनों का ‘डिजिटल अरेस्ट’।
इन दिनों में जालसाजों ने पीड़ित परिवार को फर्जी वीडियो कॉल के ज़रिए कथित PMLA कोर्ट (मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कानून) में भी “पेश” किया, जहां से उन्हें खातों के “वेरिफिकेशन” के बहाने बड़ी राशि ट्रांसफर करने को कहा गया।
ठगों ने बनावटी जांच के बहाने उगाही की योजना रची
कथित कोर्ट के निर्देश के नाम पर ठगों ने परिवार से कहा कि उनके बैंक खाते की जांच के लिए उसमें मौजूद पूरी रकम को विभिन्न खातों में भेजा जाए। जालसाजों ने भरोसा दिलाया कि जांच पूरी होते ही पूरी राशि लौटा दी जाएगी।
भरोसे और डर के बीच फंसे सुबीर मित्रा और उनके परिवार ने अलग-अलग बैंक खातों में ₹3.22 करोड़ की रकम ट्रांसफर कर दी। जब इसके बाद जालसाजों ने पूरी तरह संपर्क तोड़ दिया, तब परिवार को इस गंभीर ठगी का अहसास हुआ।
पुलिस जांच में जुटी, मामला साइबर थाना में दर्ज
परिवार ने तुरंत ही एनसीआरपी (राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल) और स्थानीय साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, जिन खातों में रकम भेजी गई, उनकी पहचान कर फंड की ट्रेसिंग की जा रही है।
पुलिस का कहना है कि यह एक अत्याधुनिक साइबर फ्रॉड का मामला है, जिसमें ठगों ने तकनीकी हथकंडों और मनोवैज्ञानिक दबाव का इस्तेमाल कर पूरा परिवार मानसिक रूप से बंधक बना लिया।