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हिंदुओं पर अत्याचार जारी- इस्कॉन मंदिर के एक और ब्रह्मचारी श्यामदास प्रभु को किया गया गिरफ्तार 

Category Archives: अंतर्राष्ट्रीय

हिंदुओं पर अत्याचार जारी- इस्कॉन मंदिर के एक और ब्रह्मचारी श्यामदास प्रभु को किया गया गिरफ्तार 

स्वामी चिन्मय कृष्णदास को पहले ही किया जा चुका है गिरफ्तार 

ढाका। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जारी है। इस्कॉन मंदिर के पुजारी और हिंदू नेता स्वामी चिन्मय कृष्णदास की गिरफ्तारी के विरोध में हुए प्रदर्शन के बीच दूसरे हिंदू पुजारी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पश्चिम बंगाल में इस्कॉन मंदिर के प्रवक्ता राधारमण दास ने ट्वीट करके बताया कि बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के एक और ब्रह्मचारी श्यामदास प्रभु को चत्तोग्राम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में श्यामदास प्रभु की फोटो शेयर करके लिखा कि क्या ये आपको आतंकवादी दिखते हैं?

बता दें कि इससे पहले बांग्लादेश के इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के पूर्व सदस्य चिन्मॉय कृष्ण दास को सोमवार को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों ने बताया कि आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद बांग्लादेश के चट्टोग्राम में एक और हिंदू पुजारी को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार पुजारी की पहचान श्याम दास प्रभु के रूप में हुई, जो कथित तौर पर जेल में चिन्मय कृष्ण दास से मिलने गए थे। 

बिना किसी वारंट के हुई श्याम दास प्रभु की गिरफ्तारी

सूत्रों ने कहा कि श्याम दास प्रभु को बिना किसी आधिकारिक वारंट के गिरफ्तार किया गया है। यह प्रथा अधिकारियों को किसी को हिरासत में लेने और बाद में रिहा करने की अनुमति देती है। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने भी एक्स पर भिक्षु की गिरफ्तारी के बारे में पोस्ट किया। बांग्लादेश में हिंदू साधु की गिरफ्तारी और हिंसा का दौर जारी है। इस्कॉन के पूर्व सदस्य व हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की देशद्रोह के मामले में गिरफ्तारी से राजधानी ढाका और चट्टोग्राम सहित बांग्लादेश के विभिन्न स्थानों पर हिंदू समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

चिन्मय कृष्ण दास को मंगलवार को चट्टोग्राम अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उनकी रिहाई की मांग कर रहे पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। झड़प में सहायक लोक अभियोजक सैफुल इस्लाम की मौत हो गई।  पुलिस ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश पुलिस ने वकील की हत्या के मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। 46 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया, जिनमें ज्यादातर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सफाई कर्मचारी थे।

मुस्लिमों ने हिंदू मंदिरों को तोड़ा

हिंदुओं के विरोध प्रदर्शन के बाद चट्टोग्राम में शुक्रवार को जुमे की नमाज करने के बाद मुसलमानों की भीड़ ने तीन हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की, जहां इस्कॉन के एक पूर्व सदस्य पर राजद्रोह के आरोप के तहत मामला दर्ज होने के बाद से विरोध प्रदर्शन और हिंसा देखी गई है। समाचार पोर्टल BDNews24.com की रिपोर्ट के अनुसार, हमला दोपहर करीब 2:30 बजे बंदरगाह शहर के हरीश चंद्र मुंसेफ लेन में हुआ, जहां शांतनेश्वरी मातृ मंदिर, पास के शोनी मंदिर और शांतनेश्वरी कालीबाड़ी मंदिर को निशाना बनाया गया।  “नारेबाजी कर रहे कई सौ लोगों के एक समूह ने मंदिरों पर ईंट-पत्थर फेंके, जिससे शोनी मंदिर और अन्य दो मंदिरों के द्वार क्षतिग्रस्त हो गए।” कोतवाली थाना प्रमुख अब्दुल करीम ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि हमलावरों ने मंदिरों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया.

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर तनाव के बीच हुई है, जहां पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से व्यापक राजनीतिक हिंसा देखी गई है। पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली नई सैन्य समर्थित अंतरिम सरकार को अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में वृद्धि को रोकने में विफल रहने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।  बता दें कि बांग्लादेश की 170 मिलियन आबादी में लगभग 8 प्रतिशत हिंदू हैं।


बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति खराब, मंदिरों पर हमले तेज

ढाका। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। मोहम्मद युनूस की सरकार के सत्ता में आने के चार महीने बाद से कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों के हौसले बुलंद हो गए हैं। शेख हसीना सरकार द्वारा बैन किए गए कई कट्टरपंथी समूहों ने अब हिंदू समुदाय और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ आक्रामक रुख अपना लिया है, जिससे धार्मिक तनाव बढ़ गया है।

मंदिरों पर लगातार हमले
हाल के दिनों में ढाका और अन्य इलाकों में हिंदू मंदिरों पर हमले तेज हो गए हैं। कट्टरपंथी संगठनों ने लोकनाथ मंदिर, मनसा माता मंदिर और हजारी लेन स्थित काली माता मंदिर पर हमला किया। जुमे की नमाज के बाद इन संगठनों ने दो और मंदिरों – राधा गोविंदा मंदिर और शांतनेश्वरी मंदिर – को निशाना बनाया। इन हमलों ने हिंदू समुदाय को गहरे भय में डाल दिया है और धार्मिक सहिष्णुता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कट्टरपंथियों का बढ़ा प्रभाव
शेख हसीना की सरकार द्वारा जिन कट्टरपंथी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया था, वे अब पहले से ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। हिंदू समुदाय के लोग आरोप लगा रहे हैं कि नई सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर उदासीन है, जिससे कट्टरपंथी ताकतों का मनोबल और बढ़ गया है। यह स्थिति बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए चिंता का कारण बन चुकी है।

अल्पसंख्यक समुदाय में भय का माहौल
लगातार हो रहे हमलों ने हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल बना दिया है। पूजा स्थलों पर हो रहे हमलों से न केवल धार्मिक स्वतंत्रता, बल्कि सामाजिक सहिष्णुता पर भी गंभीर असर पड़ रहा है। स्थानीय हिंदू संगठनों ने सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की है ताकि इन हमलों पर काबू पाया जा सके और अल्पसंख्यकों को सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

सरकार की चुप्पी पर सवाल
मोहम्मद युनूस सरकार ने इन घटनाओं पर अब तक कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है, जिसे लेकर हिंदू संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि सरकार की चुप्पी से कट्टरपंथी तत्वों के हौसले और बढ़े हैं, और यह स्थिति बांग्लादेश में शांति और धार्मिक सहिष्णुता को खतरे में डाल सकती है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही आलोचना
इन हमलों के बाद, बांग्लादेश की नई सरकार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ रहा है कि वह अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। यदि यह स्थिति जल्दी काबू में नहीं आई, तो बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की अपील की है, ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय को सुरक्षा और सम्मान मिल सके।


सोशल मीडिया प्रतिबंध का मकसद बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, नहीं कर पाईं तो कंपनियां होंगी जिम्मेदार- पीएम एंथनी अल्बानीज

कैनबरा। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने घोषणा की, कि सोशल मीडिया कंपनियों की बच्चों की सुरक्षा करने की सामाजिक जिम्मेदारी है, क्योंकि संसद ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को उनके प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने वाला कानून पारित किया है।

अल्बानीज ने कहा कि 16 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे को सोशल मीडिया तक पहुंचने से प्रतिबंधित करने वाला दुनिया का पहला कानून युवा ऑस्ट्रेलियाई बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

उन्होंने कहा कि हमारे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्लेटफॉर्म की सामाजिक जिम्मेदारी होगी यही उनकी प्राथमिकता में शामिल होगा।
देर रात सीनेट ने सरकार के कानून के पक्ष में मतदान किया। यह कानून संसद के निचले सदन, प्रतिनिधि सभा में शुक्रवार सुबह प्रक्रियात्मक सत्र में दूसरी बार पारित हुआ, जिससे 12 महीनों में कानून लागू होने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

सरकार ने यह निर्दिष्ट नहीं किया है कि नए कानून कैसे लागू किए जाएंगे। कानून के तहत, सोशल मीडिया कंपनियां जो 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहती हैं, उन्हें 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर ($32.5 मिलियन) तक का जुर्माना भरना पड़ेगा।

अल्बानीज ने कहा कि हम यह तर्क नहीं देते कि इसका कार्यान्वयन एकदम सही होगा, ठीक वैसे ही जैसे 18 साल से कम आयु के लोगों के लिए शराब पर प्रतिबंध का मतलब यह नहीं है कि 18 साल से कम आयु के लोगों को कभी भी शराब नहीं मिलेगी, लेकिन हम जानते हैं कि ऐसा करना सही है।

प्रतिबंध के पारित होने पर प्रतिक्रिया देते हुए, मेटा – फेसबुक और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी ने कहा कि वह संसद के माध्यम से जिस गति से आगे बढ़ी, उससे चिंतित है।

कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि हम उस प्रक्रिया से चिंतित हैं, जिसमें साक्ष्यों पर उचित रूप से विचार किए बिना, आयु-उपयुक्त अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उद्योग पहले से क्या कर रहा है और युवा लोगों की आवाजों पर विचार किए बिना कानून को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया।


हिंद प्रशांत में देशों का सहयोग ज्यादा संसाधन जुटाने में अहम साबित हो सकता है- विदेश मंत्री एस. जयशंकर

हिंद-प्रशांत इस वक्त बड़े बदलावों को अनुभव कर रहा – विदेश मंत्री एस. जयशंकर
इटली में जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक 
रोम/नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर क्वाड की स्थापना और इसकी उन्नति को पूरी दुनिया के लिए एक अहम घटनाक्रम करार दिया है। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत इस वक्त बड़े बदलावों को अनुभव कर रहा है। इनमें नई साझेदारियां और साझा हितों का साथ आना शामिल है। इटली के फियुगी शहर में जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक में आमंत्रित जयशंकर ने कहा, “ऐसे समय, जब सहयोग बढ़ाने से जुड़ी कोशिशें जारीं हैं, तब हिंद-प्रशांत क्षेत्र को भी व्यवहारिक समाधान, तेज कूटनीति, बेहतर समायोजन और ज्यादा खुली बातचीत की जरूरत है। इस काम में जी7 एक अच्छा साझेदार हो सकता है।”
बता दें कि क्वाड समूह ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका का गठबंधन है। इसकी स्थापना हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के मकसद से हुई थी। विदेश मंत्री इसी मुद्दे को लेकर जी7 के विदेश मंत्रियों की 24-26 नवंबर को होने वाली आधिकारिक बैठक में भारत की तरफ से बतौर अतिथि पहुंचे। जयशंकर ने इस सत्र के खत्म होने के बाद कहा, “क्वाड का विकास एक अहम घटनाक्रम रहा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र का आज का परिदृश्य बड़े स्तर पर सहयोगात्मक दृष्टिकोण के पक्ष में तर्क पेश करता है। यह सहयोग नौसैन्य क्षेत्र के अलावा सेमीकंडक्टर, सप्लाई चेन व अन्य क्षेत्रों में हो सकता है।”
जयशंकर ने चीन का नाम लिए बिना उसकी बेल्ट एंड रोड परियोजना की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हिंद प्रशांत में देशों का सहयोग ज्यादा संसाधन जुटाने, खराब कर्ज या अवहनीय कर्ज को रोकने और क्षेत्र में ज्यादा गतिविधि का समर्थन करने में अहम साबित हो सकता है। इसके अलावा शासन, स्वास्थ्य, तकनीक, आपदा और प्राकृतिक संसाधान के प्रबंधन में भी नई और अहम क्षमताएं पैदा की जा सकती हैं।

क्या शुरू होगा तीसरा विश्व युद्ध? व्लादिमीर पुतिन की धमकी और बढ़ता वैश्विक तनाव

लंदन। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन और पश्चिमी देशों पर हाइपरसोनिक मिसाइलों से हमले की धमकी दी है, जिससे वैश्विक स्तर पर तनाव और बढ़ गया है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि यदि हालात पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो सकता है।

पुतिन की धमकी और नाटो की चुप्पी
पुतिन लगातार यूक्रेन पर मिसाइल हमले कर रहे हैं और अब परमाणु हमलों की धमकी भी दे रहे हैं। वहीं, नाटो और ब्रिटेन ने इस गंभीर स्थिति पर अब तक कोई बैठक नहीं बुलाई है। पुतिन की इस आक्रामक नीति ने पैन-यूरोपीय संघर्ष का खतरा बढ़ा दिया है।

खतरे के बढ़ते संकेत
शीत युद्ध के बाद पहली बार ऐसा संकट देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन, ब्रिटेन और अमेरिका की मिसाइलों को रूस के अंदर तैनात करके क्रेमलिन को उकसाया जा रहा है। अमेरिका के अगले राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव और उनके शपथ ग्रहण के बीच 76 दिनों का यह अंतराल दुनिया के लिए भारी पड़ सकता है।

बाइडेन की नीतियों पर सवाल
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीतियों को इस संकट का प्रमुख कारण माना जा रहा है। उन्होंने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें देने में देरी की, जिससे रूस का जवाबी हमला और आक्रामक हो गया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के रूस के अंदर हमलों ने क्रेमलिन को परमाणु प्रतिशोध की धमकी देने पर मजबूर कर दिया है।

दुनिया के अन्य नेताओं की भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी आक्रामक बयानबाजी से तनाव को और बढ़ा दिया है। दूसरी ओर, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका को कमजोर करने की कोशिश में जुटे हैं। यूरोपीय सेनाएं रूस की तुलना में कमजोर मानी जा रही हैं, जिससे यह संकट और जटिल हो गया है।

विशेषज्ञों की चेतावनी
1962 के क्यूबा मिसाइल संकट और दो विश्व युद्धों के अनुभवों से यह साफ है कि दुनिया एक बड़े संघर्ष के बेहद करीब है। यदि वैश्विक नेताओं ने जल्द और प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो यह संकट तीसरे विश्व युद्ध का रूप ले सकता है।


ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन- अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए युवती को किया गया रिहा

ईरान।  हिजाब के विरोध में अक्सर महिलाओं के विरोध प्रदर्शन देखने को मिलते हैं, लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने सबको हैरान कर दिया। ईरान की एक यूनिवर्सिटी कैंपस में एक युवती को सिर्फ अंडरगारमेंट्स में घूमते हुए देखा गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। पब्लिक प्लेस में न्यूडिटी को प्रमोट करने के आरोप में उस युवती को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन अब इस मामले में अदालत का फैसला आ गया है।

अदालत ने दी मानसिक स्वास्थ्य को अहमियत
तेहरान की अदालत ने फैसला सुनाया कि इस छात्रा के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। अदालत ने कहा कि छात्रा अहौ दारयाई मानसिक रूप से बीमार थीं, और चिकित्सकों ने इसकी पुष्टि की है। न्यायपालिका के प्रवक्ता असगर जहांगीर ने बताया कि छात्रा को अस्पताल भेजा गया था, जहां डॉक्टरों ने उसकी मानसिक स्थिति स्पष्ट की। इस आधार पर अदालत ने कहा कि छात्रा पर मुकदमा चलाने का कोई औचित्य नहीं है और उसे उसके परिवार को सौंप दिया गया है।

विरोध प्रदर्शन और वायरल वीडियो
इस महीने की शुरुआत में, अहौ दारयाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में वह तेहरान की इस्लामिक आजाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में केवल अंडरगारमेंट्स में घूमती नजर आईं। बताया गया कि यह घटना इस्लामिक ड्रेस कोड के विरोध में हुई थी। यूनिवर्सिटी की सिक्योरिटी द्वारा रोके जाने के बाद, उन्होंने अपने कपड़े उतारकर विरोध प्रदर्शन किया।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने किया समर्थन
इस घटना के बाद, मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ईरान सरकार से छात्रा को तुरंत रिहा करने की अपील की थी। संगठन ने कहा था कि अहौ दारयाई को सभी प्रकार की यातनाओं और दुर्व्यवहार से बचाया जाए और उसे परिवार और वकील से संपर्क की सुविधा दी जाए।

पारिवारिक और मानसिक दबाव का असर
रिपोर्ट्स के अनुसार, छात्रा पारिवारिक समस्याओं के चलते मानसिक तनाव में थीं। उनके करीबी लोगों और सहपाठियों ने पहले भी उनके असामान्य व्यवहार के बारे में बताया था। अदालत ने इसे ध्यान में रखते हुए नरमी बरती और मामले को खत्म कर दिया। अहौ दारयाई की यह घटना ईरान में महिलाओं के अधिकारों और इस्लामिक ड्रेस कोड को लेकर चल रही बहस का हिस्सा बन गई है। हालांकि, अदालत ने इस मामले में उनकी मानसिक स्थिति को प्राथमिकता देते हुए इंसानियत का उदाहरण पेश किया है।


ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई गंभीर बीमारी से जूझ रहे, बेटे मोजतबा खामेनेई बने उत्तराधिकारी

तेहरान। ईरान के सर्वोच्च नेता और 85 वर्षीय अली खामेनेई कथित तौर पर गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और जल्द ही अपने पद से हटने की तैयारी कर रहे हैं। ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने अपने बेटे मोजतबा खामेनेई को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है।

विशेष बैठक में हुई नियुक्ति
26 सितंबर को अली खामेनेई के अनुरोध पर ईरान के विशेषज्ञों की सभा के 60 सदस्यों की एक बैठक बुलाई गई। इस बैठक में खामेनेई ने उत्तराधिकार के संबंध में तत्काल निर्णय लेने का निर्देश दिया। विशेषज्ञों की सभा ने सर्वसम्मति से उनके बेटे मोजतबा को नया सर्वोच्च नेता चुन लिया।

दबाव में हुआ फैसला?
हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रक्रिया के दौरान विशेषज्ञों की सभा के सदस्यों ने विरोध जताया। लेकिन खामेनेई और उनके समर्थकों ने उन पर कथित रूप से दबाव बनाया। कुछ रिपोर्ट्स में यहां तक कहा गया कि सदस्यों को निर्णय लेने के लिए धमकियों का सामना करना पड़ा।

कौन हैं मोजतबा खामेनेई?
मोजतबा खामेनेई, अयातुल्ला अली खामेनेई के दूसरे बेटे हैं। उनका जन्म 1969 में मशहद में हुआ। उन्होंने धर्मशास्त्र की पढ़ाई अपने पिता और अन्य प्रभावशाली शिक्षकों के संरक्षण में की और अब कोम सेमिनरी में पढ़ाते हैं। मोजतबा की पत्नी ज़हरा हद्दाद-अदेल हैं और उनके तीन बच्चे हैं।

राजनीतिक सफर
2005 और 2009 के ईरानी चुनावों में मोजतबा महमूद अहमदीनेजाद के समर्थक थे। 2009 में, अहमदीनेजाद की विवादास्पद जीत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों को दबाने में मोजतबा की भूमिका बताई गई थी। हालांकि, बाद में उनके और अहमदीनेजाद के बीच रिश्ते खराब हो गए।

गबन का आरोप और चुनौतियां
मोजतबा पर सरकारी खजाने से धन के गबन का आरोप भी लगा था। हालांकि, अब उनके सर्वोच्च नेता बनने की प्रक्रिया में विशेषज्ञों की सभा से कुछ असहमति का सामना हो सकता है। सभा भले ही औपचारिक निकाय हो, लेकिन मोजतबा के खिलाफ असंतोष ने इस नियुक्ति को विवादास्पद बना दिया है।

भविष्य के संकेत
मोजतबा खामेनेई का नाम लंबे समय से उनके पिता के उत्तराधिकारी के रूप में चर्चा में था। अब जब उन्हें उत्तराधिकारी घोषित कर दिया गया है, यह देखना दिलचस्प होगा कि ईरान की राजनीति और समाज पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।

(रिपोर्ट: एजेंसी)


कैरेबियाई देश डोमिनिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित करने की घोषणा की

नई दिल्ली। कैरेबियाई देश डोमिनिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार ‘डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर’ देने की घोषणा की है। यह सम्मान प्रधानमंत्री मोदी को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका के लिए उनके योगदान और दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने के प्रति उनके समर्पण के लिए प्रदान किया जा रहा है।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन यह पुरस्कार 19 से 21 नवंबर तक गुयाना के जॉर्जटाउन में होने वाले भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदान करेंगे।

कोविड-19 टीके की 70,000 खुराकें भेजने पर जताई थी कृतज्ञता
फरवरी 2021 में भारत ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका की 70,000 कोविड-19 टीके की खुराकें भेजी थीं, जिसे डोमिनिका ने “दिल को छू लेने वाला उपहार” बताया था। इस सहायता से डोमिनिका ने अपने साथ-साथ पड़ोसी कैरेबियाई देशों की भी मदद की।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री का बयान
डोमिनिका के प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्केरिट ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी हमारे सच्चे साथी रहे हैं। वैश्विक स्वास्थ्य संकट के समय में उनकी एकजुटता का प्रतीक यह सम्मान है। हमारे दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का प्रतीक मानते हुए हम उन्हें यह सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देने पर गर्व महसूस करते हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान की पेशकश को स्वीकारते हुए जलवायु परिवर्तन और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग का संकल्प दोहराया और डोमिनिका एवं कैरेबियाई देशों के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।


पाकिस्तान के क्वेटा में रेलवे स्टेशन पर बम धमाका, 21 लोगों की मौत, 50 से ज्यादा घायल

पाकिस्तान।  क्वेटा शहर से एक बार फिर धमाके की भयावह घटना सामने आई है। यहां के रेलवे स्टेशन पर हुए बम विस्फोट के चलते 21 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इस धमाके के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई, और स्थानीय पुलिस व सुरक्षा एजेंसियां घटना स्थल पर पहुंचकर जांच में जुट गई हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, धमाका इतना तेज था कि आसपास के कई लोग बुरी तरह से घायल हो गए। घायलों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।

स्थानीय प्रशासन ने इस घटना को आतंकवाद से जुड़ा माना है और कहा है कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है।

https://twitter.com/AdityaRajKaul/status/1855113809410580715


अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ, कहा- पूरी दुनिया उन्हें पसंद करती है

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात की और उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में जीत पर बधाई दी। सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं ने विश्व शांति और स्थिरता के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। बातचीत के दौरान ट्रंप ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि पूरी दुनिया उन्हें पसंद करती है और भारत एक “शानदार देश” है। उन्होंने पीएम मोदी को एक “सच्चा दोस्त” मानने की बात भी कही।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि जीत के बाद जिन विश्व नेताओं से उन्होंने सबसे पहले बात की, उनमें पीएम मोदी शामिल हैं। इससे पहले, पीएम मोदी ने ट्रंप को ट्वीट के माध्यम से बधाई दी थी और भारत-अमेरिका साझेदारी को और मजबूत करने की बात कही थी।

270 वोटों से ट्रंप की जीत
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की दौड़ में जीत हासिल करने के लिए 270 चुनावी वोट प्राप्त किए, विस्कॉन्सिन में जीत के साथ उन्होंने राष्ट्रपति पद पर अपना दावा मजबूत किया। वहीं मिशिगन, एरिजोना, और अलास्का में वोटों की गिनती अभी जारी है। रिपब्लिकन पार्टी ने अमेरिकी सीनेट पर भी नियंत्रण कर लिया है और अमेरिकी सदन में अपना बहुमत बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी और ट्रंप की कुछ पुरानी तस्वीरें साझा करते हुए इस ऐतिहासिक पल को यादगार बनाने की बात कही।


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