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सोनिया गांधी पर फिर विवाद के बादल, नागरिकता मिलने से पहले मतदाता सूची में नाम दर्ज होने का आरोप

Category Archives: राजनीति

सोनिया गांधी पर फिर विवाद के बादल, नागरिकता मिलने से पहले मतदाता सूची में नाम दर्ज होने का आरोप

राउज एवेन्यू कोर्ट में सोनिया गांधी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दायर

नई दिल्ली। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी एक बार फिर विवादों में हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में उनके खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दाखिल की गई है। आरोप है कि भारतीय नागरिकता लेने से पहले ही उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज कर दिया गया था। यह मामला अब कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ राजनीतिक बहस का मुद्दा भी बनता जा रहा है।

शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी का दावा है कि सोनिया गांधी का नाम पहली बार 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल किया गया था, जबकि आधिकारिक तौर पर उन्होंने अप्रैल 1983 में भारतीय नागरिकता हासिल की। त्रिपाठी के अनुसार 1980 में नाम जुड़ने के बाद 1982 में हटाया गया और फिर 1983 में दोबारा शामिल किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह केवल प्रशासनिक चूक नहीं बल्कि जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल का मामला हो सकता है।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया की अदालत में इस शिकायत पर संक्षिप्त सुनवाई हुई। अदालत ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद मामले को अध्ययन हेतु स्थगित कर दिया और अगली तारीख 10 सितंबर तय की। फिलहाल सोनिया गांधी या दिल्ली पुलिस को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की है कि इसे संज्ञेय अपराध माना जाए और दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए। उनका कहना है कि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है, ऐसे में 1980 और 1982 में नाम दर्ज होना कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है।

यह मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील माना जा रहा है। विपक्ष में सोनिया गांधी हमेशा एक अहम चेहरा रही हैं। ऐसे में यह विवाद न केवल अदालत में बल्कि राजनीतिक हलकों में भी गरमा सकता है।


मराठा आरक्षण आंदोलन शांतिपूर्वक समाप्त, सरकार ने मानी 6 मांगें

मुंबई पुलिस की रणनीति सफल, पांच दिन का आंदोलन बिना बवाल खत्म

मुंबई। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे हजारों समर्थकों के साथ मुंबई पहुंचे थे। पांच दिन तक चला यह बड़ा आंदोलन आजाद मैदान में हुआ, लेकिन मुंबई पुलिस की सख्त और रणनीतिक तैयारियों के कारण माहौल कभी बेकाबू नहीं हुआ। आंदोलन का समापन तब हुआ, जब राज्य सरकार ने उनकी अधिकतर मांगों को मान लिया और जरांगे ने भूख हड़ताल खत्म करने की घोषणा की।

राज्यभर से उमड़ा समर्थन

जरांगे ने 29 अगस्त को अनशन शुरू किया था। उनकी अपील पर महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में लोग मुंबई पहुंचे। हजारों वाहनों के कारण दक्षिण मुंबई के कई मार्ग जाम हो गए। आंदोलनकारी आजाद मैदान और उसके आसपास डटे रहे, वहीं कुछ लोग रेलवे स्टेशन पर रात गुजारते नजर आए।

पुलिस की सूझबूझ और सख्त निगरानी

मुंबई पुलिस ने आंदोलन को शांतिपूर्वक संचालित करने के लिए 1,500 से अधिक जवानों के साथ सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आरएएफ, एसआरपीएफ और दंगा नियंत्रण बल को भी तैनात किया। हालात पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी और ड्रोन का सहारा लिया गया। कई बार रास्ते जाम हुए, लेकिन जरांगे के वीडियो कॉल पर समर्थक पीछे हट गए।

हाईकोर्ट का हस्तक्षेप

आंदोलन के चलते मुंबई में जनजीवन प्रभावित हुआ तो बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई और सभी रास्ते खाली करने का आदेश दिया। अदालत ने साफ किया कि तय शर्तों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों को मैदान खाली करने को कहा और अंततः भीड़ शांतिपूर्वक हट गई।

पुलिस की सराहना और सरकार का आश्वासन

आंदोलन समाप्त होने के बाद संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्य नारायण चौधरी ने ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों की प्रशंसा की। वहीं सरकार ने जरांगे की 8 में से 6 प्रमुख मांगें स्वीकार कर ली हैं, जबकि दो पर प्रक्रिया जारी है।

मनोज जरांगे की आठ प्रमुख मांगें

सभी मराठा समाज के लोगों को सरलता से कुनबी प्रमाणपत्र (सगे-सोयरे कुनबी प्रमाणपत्र) उपलब्ध कराया जाए।
हैदराबाद, सतारा और औंध गजट को तुरंत लागू किया जाए।
मराठा आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं पर दर्ज सभी आपराधिक मामले वापस लिए जाएं।
आंदोलन में जान गंवाने वालों के परिजनों को तत्काल आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी दी जाए।
58 लाख से अधिक कुनबी नोंदी ग्राम पंचायत स्तर पर सार्वजनिक की जाएं, ताकि मराठा समाज की पहचान स्पष्ट हो।
वंशवली (शिंदे) समिति को स्वतंत्र कार्यालय और अतिरिक्त समय दिया जाए।
सरकार मराठा-कुनबी एक का आधिकारिक आदेश (जीआर) जारी करे।
सगे-सोयरे प्रमाणपत्र की सत्यापन और मान्यता प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए।

सरकार ने जो छह मांगें स्वीकार की

हैदराबाद गजट लागू करने का निर्णय लिया गया।
सातारा और औंध गजट को लागू करने की प्रक्रिया शुरू, 15 दिनों में कानूनी दिक्कतें दूर होंगी।
आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने का आश्वासन।
आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को 15 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद और योग्यता अनुसार नौकरी।
58 लाख कुनबी नोंदी पंचायत स्तर पर सार्वजनिक की जाएगी।
वंशवली (शिंदे) समिति को कार्यालय और कार्यकाल विस्तार मिलेगा।

अधूरी बची 2 मांगें

मराठा-कुनबी एक का जीआर अभी प्रक्रिया में है, लेकिन लागू नहीं हुआ।

सगे-सोयरे प्रमाणपत्र की जांच की प्रक्रिया शुरू है, पर अंतिम फैसला लंबित है।


प्रधानमंत्री मोदी का ‘मेगा’ फॉर्मूला अब भारत के लिए बना ‘महा सिरदर्द’- जयराम रमेश

25% अतिरिक्त टैरिफ से भारत के निर्यात पर संकट

नई दिल्ली। अमेरिका ने बुधवार से भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लागू कर दिया है, जो मुख्य रूप से कपड़ा, हीरे-जेवरात, चमड़ा, समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग सामान के निर्यात को प्रभावित करेगा। इस कदम के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का ‘मेगा’ फॉर्मूला अब भारत के लिए ‘महा सिरदर्द’ बन गया है।

कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ का असर श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्रों पर सीधे पड़ेगा। उन्होंने यह भी बताया कि 24 घंटे पहले अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने एच1बी वीजा प्रणाली पर बयान दिया, जिसका सबसे बड़ा लाभ भारतीय आईटी पेशेवरों को मिलता है।

रमेश ने मोदी द्वारा फरवरी में दिए गए ‘मागा + मिगा = मेगा’ फॉर्मूले का जिक्र करते हुए कहा कि अब वही ‘मोदी-निर्मित मेगा’ भारत के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गया है। उस समय मोदी ने अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप के साथ प्रेस कांफ्रेंस में इसे एक नई साझेदारी के रूप में पेश किया था।

अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने सोमवार को मसौदा आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि यह बढ़ा हुआ टैरिफ 27 अगस्त, 2025 से अमेरिकी बाजार में आयात होने वाले भारतीय उत्पादों पर लागू होगा। 7 अगस्त को ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी जवाबी टैरिफ की घोषणा की थी, जिसे रूस से कच्चा तेल खरीदने के कारण बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को कहा कि वह किसानों, पशुपालकों और लघु उद्योगों के हितों से समझौता नहीं करेंगे और बढ़ते दबाव का सामना करेंगे।


कांग्रेस और राहुल गांधी देश को कमजोर करने वाली ताकतों के साथ खड़े हैं – केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू

रिजिजू का राहुल गांधी पर तीखा हमला, कहा- ‘खतरनाक रास्ते पर चल रहे हैं कांग्रेस नेता’

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष और खासतौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयानों से उनकी ही पार्टी असहज हो जाती है और डरती  है कि कहीं उनके बयान कांग्रेस को नुकसान न पहुंचा दें। रिजिजू ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी देश को कमजोर करने वाली ताकतों के साथ खड़े हो रहे हैं और बेहद खतरनाक रास्ते पर जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि जॉर्ज सोरोस जैसे अंतरराष्ट्रीय तत्व भारत सरकार को अस्थिर करने के लिए एक ट्रिलियन डॉलर तक खर्च करने की बात करते हैं। कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और कई वामपंथी संगठनों में सक्रिय भारत विरोधी खालिस्तानी ताकतें देश के खिलाफ साजिश रच रही हैं। रिजिजू ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और राहुल गांधी इन ताकतों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश पूरी तरह सुरक्षित है।

विधेयक पर चर्चा
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और गंभीर आरोपों में घिरे मंत्रियों को हटाने से संबंधित विधेयक पर रिजिजू ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को भी किसी छूट से बाहर रखा है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष वास्तव में नैतिकता को प्राथमिकता देता तो इस विधेयक का समर्थन करता।

संसद में गतिरोध पर हमला
रिजिजू ने विपक्ष पर संसद ठप करने का आरोप लगाया और कहा कि अगर सदन नहीं चलता तो इसका नुकसान विपक्ष को होगा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस को संसदीय चर्चा में कोई रुचि नहीं है। कई सांसद शिकायत करते हैं कि हंगामे के कारण वे अपने क्षेत्रों की समस्याएं नहीं उठा पा रहे हैं।”

‘मेरा गला भी बैठ गया’
संसद में विपक्ष के शोर-शराबे को लेकर रिजिजू ने हल्के अंदाज में कहा, “मेरा गला भी बैठ गया है। विपक्ष को बार-बार चिल्लाकर काम करने की अपील करनी पड़ रही है।” उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सवाल पूछने की होती है, लेकिन कांग्रेस इस बुनियादी जिम्मेदारी को भी निभाने में नाकाम है।

राहुल गांधी पर दोबारा निशाना
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी राहुल गांधी को उनकी गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों पर फटकार लगा चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के बयान न सिर्फ गलत साबित होते हैं, बल्कि उनकी पार्टी भी इससे शर्मिंदगी उठाती है। रिजिजू ने कहा, “लोकतंत्र में विपक्ष मजबूत होना चाहिए, लेकिन राहुल गांधी एक मजबूत विपक्ष तो दूर, बुनियादी कर्तव्यों को भी निभा नहीं पा रहे हैं।”


हम घुसपैठियों को बिहार के युवाओं का रोजगार नहीं छीनने देंगे- पीएम मोदी

बिहार में मतदाता सूची विवाद पर सियासी तापमान बढ़ा

बिहार। बिहार में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासी हंगामा बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दल इस कदम को लेकर विरोध कर रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बिहार दौरे पर हैं और उन्होंने तेजस्वी यादव समेत अन्य विपक्षी नेताओं के साथ इस मुद्दे पर जमकर विरोध किया।

वहीं, भाजपा ने स्पष्ट किया है कि देश का नागरिक नहीं होने वाले लोगों को मतदाता सूची से हटाना उचित है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने तय किया है कि देश का भविष्य घुसपैठियों से प्रभावित नहीं होगा और युवाओं का भविष्य सुरक्षित रहेगा।

गयाजी में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि घुसपैठियों की बढ़ती संख्या देश के लिए चिंता का विषय है। सीमावर्ती इलाकों की डेमोग्राफी बदल रहा है। एनडीए सरकार जल्द ही डेमोग्राफी मिशन की शुरुआत करने जा रही है। कांग्रेस और राजद जैसे दल बिहार के गरीबों का हक छीनकर घुसपैठियों को देना चाहते हैं। यह सब वह वोटबैंक और तुष्टिकरण के लिए कर रहे हैं। उन्हें बिहार की कोई परवाह नहीं है। इसलिए लगातार सरकार का विरोध कर रहे हैं। लेकिन, हमलोगों को राजद और कांग्रेस की बुरी नजर से बिहार को बचाना है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम घुसपैठियों को बिहार के युवाओं का रोजगार नहीं छीनने देंगे। जिन सुविधाओं पर भारतीयों का अधिकार है। उसपर घुसपैठियों काे डाका नहीं डालने देंगे। बहुत जल्द डेमोग्राफी सर्वे का कार्य शुरू होगा। हम हर घुसपैठी को देश से बाहर करके रहेंगे। पीएम मोदी ने पूछा कि क्या घुसपैठिए आपका रोजगार छीन लें और आपकी जमीन पर कब्जा कर लें यह मंजूर है? कांग्रेस और राजद ने बिहार के लोगों का हक छीनकर घुसपैठियों को देना चाहते हैं। एनडीए को हराने के लिए कांग्रेस-राजद कितना भी नीचे जा सकते हैं। इसलिए बिहार के लोगों को सतर्क रहने की जरुरत है। हमें बिहार को कांग्रेस-राजद की बुरी नजर से बचाकर रखना है। बिहार के लिए यह समय बेहद खास है। बिहार के लोगों के सपने पूरे हो। यहां के लोगों की उम्मीदों को नई उड़ान मिले। इसके लिए डबल इंजन की सरकार लगातार मेहनत कर रही है। आज का कार्यक्रम इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मैं एक बार फिर इन परियोजनाओं के लिए बिहार को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।


गया में गरजे राहुल गांधी, कहा- वोट चोरी संविधान पर हमला

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव का उदाहरण देकर कहा– जहां बीजेपी जीती, वहीं नए वोटर जुड़े

गया (बिहार)। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। “वोट चोरी” और “वोटर लिस्ट में हेरफेर” का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त समेत तीनों आयुक्तों को चेतावनी दी कि सरकार बदलने के बाद आयोग की भूमिका की गहन जांच होगी। राहुल गांधी ने कहा कि संविधान पर हमला दरअसल भारत माता पर हमला है और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

गया में आयोजित सभा के दौरान राहुल गांधी ने दावा किया  कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने एक करोड़ “नकली वोटर” जोड़ दिए थे। उनके अनुसार, “हमारे वोट जितने पहले थे उतने ही रहे, लेकिन जहां-जहां बीजेपी की जीत हुई, वहां नए वोटर अचानक जुड़ गए।” उन्होंने बताया कि कर्नाटक की एक सीट पर रिसर्च के दौरान एक लाख से ज्यादा फर्जी वोटर सामने आए।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जानकारी देने के बावजूद आयोग ने कार्रवाई करने के बजाय उनसे ही एफिडेविट मांगने की बात कही। उन्होंने कहा कि, “चोरी पकड़े जाने के बावजूद जिम्मेदारी स्वीकारने के बजाय उल्टा विपक्ष पर दबाव बनाया गया।”

‘वोटर अधिकार यात्रा’ के तहत गया से बरबीघा की ओर बढ़ते हुए राहुल गांधी ने लोगों से सवाल किया—”क्या आप बिहार में वोट चोरी होने देंगे?” उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा करते हैं, उसी तरह निर्वाचन आयोग “विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)” के नाम पर वोट चोरी का नया पैकेज लेकर आया है।


चुनाव हारते ही ईवीएम और आयोग पर सवाल उठाना कांग्रेस की परंपरा- अनुराग ठाकुर

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगाये आरोपों को बताया निराधार और भ्रामक

नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों पर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कड़ा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके नेता चुनावी हार के बाद हमेशा नए बहाने ढूंढते हैं। ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा, “कल कुछ कांग्रेस के लोग कह रहे थे कि राहुल गांधी और विपक्ष के नेताओं ने बवंडर खड़ा किया। बवंडर नहीं, ब्लंडर है। धूल चेहरे पर थी और आप आईना साफ करते रहे।”

भाजपा सांसद ने दावा किया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस 90 से अधिक चुनाव हार चुकी है। “जब भी हार मिलती है, कांग्रेस कभी ईवीएम पर सवाल उठाती है, कभी मतदाताओं को दोषी ठहराती है। पहले कहा कि भाजपा के लिए ईवीएम में हेरफेर हुई, फिर कहा ईवीएम पर प्रतिबंध लगाओ, और अब दावा करते हैं कि मशीनों को रिमोट से हैक किया जा सकता है,”।

ठाकुर ने कांग्रेस पर इतिहास से उदाहरण देते हुए भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 1952 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस और सीपीआई ने मिलकर संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को चुनाव में हराया था। “74,333 वोट खारिज हुए और अंबेडकर जी सिर्फ 14,561 वोट से हारे। कांग्रेस ने पहले ही चुनाव में चुनावी भ्रष्टाचार की नींव रखी थी,”।

भाजपा नेता ने कांग्रेस परिवार पर चुनाव आयोग और मतदाताओं को बदनाम करने की पुरानी परंपरा का आरोप लगाया। “इंदिरा गांधी ने मतदाताओं को मूर्ख कहा, राजीव गांधी ने बैलेट पेपर को दोष दिया, और अब राहुल गांधी कभी ईवीएम, कभी बैलेट पेपर की बात करते हैं,”।

ममता बनर्जी पर भी हमला बोलते हुए ठाकुर ने याद दिलाया कि 2005 में उन्होंने लोकसभा में दस्तावेज फेंककर आरोप लगाया था कि मतदाता सूची में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के नाम हैं। “अब जब हम उस गड़बड़ी को दूर कर रहे हैं, तो वह बाधाएं खड़ी कर रही हैं। सवाल यह है कि वह तब झूठ बोल रही थीं या अब?” ठाकुर ने पूछा।


संविधान बनाम मनुस्मृति विवाद के बीच शशि थरूर का बयान बना सियासी बहस का नया केंद्र

संविधान पर संघ के बयान के बीच थरूर बोले– अब बदल चुका है RSS

थरूर के बयान से पार्टी के भीतर उठे सवाल

नई दिल्ली। देश में संविधान को लेकर छिड़ी राजनीतिक बहस के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर के ताज़ा बयान ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। थरूर ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब पहले जैसे नहीं रहे और संभवतः वे अपनी पुरानी विचारधारा से आगे बढ़ चुके हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब कांग्रेस और विपक्षी दल लगातार आरएसएस-बीजेपी पर संविधान की मूल आत्मा से छेड़छाड़ के आरोप लगा रहे हैं।

सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों को हटाने पर बवाल
हाल ही में आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ जैसे शब्दों को हटाने की पैरवी की थी। इस बयान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस और बीजेपी ‘संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहते हैं’ और वे बहुजन व वंचित वर्गों से उनके अधिकार छीनना चाहते हैं।

थरूर की टिप्पणी: संतुलन या विचलन?
राहुल गांधी के तीखे बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शशि थरूर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी एक ऐतिहासिक तथ्य की ओर इशारा कर रहे थे। थरूर ने कहा, “संविधान निर्माण के समय गोलवलकर जैसे नेताओं ने मनुस्मृति की झलक न होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था, लेकिन मेरा मानना है कि आरएसएस अब उस सोच से आगे निकल चुका है। हालांकि उनकी मौजूदा सोच क्या है, यह वही स्पष्ट कर सकते हैं।”

पार्टी के भीतर मतभेद की आहट
थरूर की टिप्पणी कांग्रेस के भीतर ही असहमति का कारण बन गई है। पार्टी सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि जब आरएसएस खुद संविधान के मूल शब्दों को हटाने की बात कर रहा है, तब थरूर का रुख भ्रम पैदा करने वाला है। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, “थरूर जी का सम्मान है, लेकिन यह बयान सियासी बहानेबाज़ी की तरह लगता है, जो मुद्दे को भटका सकता है।”

राजनीतिक रणनीति पर उठे सवाल
विश्लेषकों के अनुसार, थरूर ने जहां एक ओर ऐतिहासिक सच्चाई को स्वीकार किया, वहीं सीधे तौर पर आरएसएस-बीजेपी पर हमला करने से बचने की कोशिश की। कांग्रेस की आक्रामक रणनीति के बीच थरूर का यह ‘मध्यमार्गी रुख’ पार्टी के समन्वय और संदेश रणनीति पर सवाल खड़े करता है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि कांग्रेस नेतृत्व इस आंतरिक विरोधाभास को कैसे सुलझाता है और बीजेपी इस बयान को राजनीतिक हथियार के तौर पर कैसे भुनाती है।


राहुल गांधी का भाजपा पर बड़ा हमला, महाराष्ट्र चुनाव को बताया ‘मैच फिक्सिंग’

मतदाता सूची से लेकर फर्जी मतदान तक पांच चरणों में गिनाई गई चुनावी धांधलियां

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र की निष्पक्षता पर उंगली उठाई है। इस बार उनका निशाना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव रहा, जिसे उन्होंने ‘मैच फिक्सिंग’ की तरह बताया। राहुल ने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए दावा किया कि चुनाव के दौरान पांच योजनाबद्ध तरीकों से प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।

अपने लेख में उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे— चुनाव आयोग की नियुक्तियों में गड़बड़ी, फर्जी नामों की एंट्री, कृत्रिम रूप से मतदान प्रतिशत बढ़ाना, लक्षित फर्जी मतदान और अंत में सबूतों को छुपाने जैसे हथकंडे अपनाए गए।

राहुल गांधी ने सवाल किया कि अगर चुनाव इस तरह ‘प्रबंधित’ किए जाएंगे, तो लोकतंत्र पर आमजन का भरोसा कैसे बचेगा? उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे खुद तथ्यों को जांचें और जवाब मांगें।

अमेरिका में भी उठाया था चुनाव आयोग पर सवाल
राहुल गांधी पहले भी चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। अप्रैल 2024 में बोस्टन (अमेरिका) में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र नहीं रहा और मतदान आंकड़ों में भारी गड़बड़ी दिखी थी। उन्होंने कहा कि अंतिम दो घंटे में 65 लाख वोट गिरना संभव नहीं था।

महायुति को भारी जीत, विपक्ष की कमजोर पकड़
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा, शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी वाली महायुति ने मिलकर 230 सीटों पर कब्जा किया, जबकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी केवल 46 सीटें जीत पाई। राहुल गांधी का आरोप है कि यह जीत सामान्य जनादेश नहीं, बल्कि योजनाबद्ध हस्तक्षेप का नतीजा थी।

भविष्य की चेतावनी
राहुल गांधी ने कहा कि अगर यह ट्रेंड नहीं रुका, तो अगली बार यही मॉडल बिहार, बंगाल या अन्य राज्यों में दोहराया जाएगा। उन्होंने इसे लोकतंत्र की सेहत के लिए खतरनाक बताया।


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