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सड़क पर भटकते बच्चों को मिली नई राह, जिला प्रशासन का “इंटेंसिव केयर सेंटर” बदल रहा ज़िंदगी का रास्ता

सड़क पर भटकते बच्चों को मिली नई राह, जिला प्रशासन का “इंटेंसिव केयर सेंटर” बदल रहा ज़िंदगी का रास्ता

सड़क पर भटकते बच्चों को मिली नई राह, जिला प्रशासन का “इंटेंसिव केयर सेंटर” बदल रहा ज़िंदगी का रास्ता

योग, संगीत और खेल के ज़रिये बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है, जिलाधिकारी सविन बंसल कर रहे हैं मॉनिटरिंग

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा और जिला प्रशासन की पहल पर राज्य का पहला आधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर बच्चों के जीवन में आशा की नई किरण बनकर उभरा है। इस सेंटर के माध्यम से सड़क और भिक्षावृत्ति में संलिप्त बच्चों को रेस्क्यू कर उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।

“शिक्षा से जीवन उत्थान” के विजन पर कार्य कर रहा यह सेंटर बच्चों को केवल पढ़ाई से ही नहीं, बल्कि संगीत, योग, और खेल जैसी गतिविधियों के ज़रिये भी शिक्षा के प्रति प्रेरित कर रहा है। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यहाँ चाइल्ड फ्रेंडली संरचना और विशेषज्ञ शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।

जिलाधिकारी सविन बंसल स्वयं इस परियोजना की मॉनिटरिंग कर रहे हैं और नियमित रूप से केंद्र की गतिविधियों का निरीक्षण कर रहे हैं। उनका कहना है कि — “हर बच्चा शिक्षा का अधिकार रखता है, और यह सेंटर उसी दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।”

अब तक जिला प्रशासन की टीम द्वारा दो चरणों में कुल 82 बच्चों को रेस्क्यू कर विभिन्न विद्यालयों में दाखिला दिलाया जा चुका है।

पहले चरण में 51 बच्चों को शहर के विभिन्न स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया।

दूसरे चरण में 31 बच्चों को राजकीय प्राथमिक विद्यालय परेड ग्राउंड और साधूराम इंटर कॉलेज में दाखिला मिला।

इसी क्रम में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से साधूराम इंटर कॉलेज में आधुनिक इंटेंसिव केयर सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है, जो इन बच्चों के पुनर्वास और शिक्षा का केंद्र बनेगा।

जिला प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई से सितंबर 2025 के बीच कुल 136 बाल संरक्षण मामलों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जबकि 138 बच्चों को मुक्त कराया गया। इनमें 70 बच्चे भिक्षावृत्ति और 14 बच्चे बालश्रम में लिप्त पाए गए थे। अन्य राज्यों के 6 बच्चों को उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया गया है।

यह पहल न केवल शिक्षा की रोशनी फैला रही है, बल्कि समाज के सबसे नाजुक वर्ग को एक सम्मानजनक भविष्य देने की दिशा में भी एक स्वर्णिम कदम सिद्ध हो रही है।


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