देहरादून: उत्तराखंड में इस वर्ष मानसून के दौरान आई भारी बारिश, भूस्खलन और बाढ़ से हुई तबाही के बाद राज्य सरकार ने नुकसान का सटीक आकलन (Post Disaster Needs Assessment – PDNA) शुरू कर दिया है। इसके लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) से विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग के सचिव विनोद कुमार सुमन ने जानकारी दी कि NDMA द्वारा नामित विशेषज्ञों की मदद से राज्य स्तर पर चार टीमें गठित की गई हैं, जो विभिन्न जिलों में जाकर वास्तविक नुकसान का मूल्यांकन कर रही हैं।
कहां-कहां पहुंची टीमें?
टीम एक उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार, टीम दो चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल और आगामी सप्ताह में टीम तीन और चार अल्मोड़ा, नैनीताल, उधम सिंह नगर, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत पहुचेगी।टीमें मौके पर जाकर सड़कों, पुलों, आवासों, कृषि भूमि व अन्य बुनियादी संरचनाओं को हुई क्षति का आंकलन कर रही हैं। इसके अलावा, विशेषज्ञ भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों पर भी सिफारिशें तैयार कर रहे हैं।
पुनर्वास और पुनर्निर्माण की योजना
सचिव सुमन ने बताया कि इन रिपोर्टों के आधार पर राज्य सरकार पुनर्वास और पुनर्निर्माण की रणनीति तैयार करेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस बार की आपदा ने राज्य को विस्तृत और गहरी क्षति पहुंचाई है, जिसकी भरपाई के लिए लंबा समय और पर्याप्त केंद्रीय सहायता की आवश्यकता है। विशेष रूप से उत्तरकाशी, चमोली, देहरादून, रुद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल और बागेश्वर जिलों में तबाही का स्तर अधिक रहा है। इन क्षेत्रों में सड़कें, पुल, आवासीय क्षेत्र और कृषि भूमि बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
संस्थानों का सहयोग
यह आकलन अभियान NDMA के अलावा केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI), IIT रुड़की, और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (NIDM) के विशेषज्ञों के सहयोग से चलाया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि PDNA रिपोर्ट के माध्यम से यथार्थ चित्रण प्रस्तुत कर केंद्र से आर्थिक सहायता प्राप्त की जा सके।