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डीटीसी में घाटा होने पर सीएम रेखा गुप्ता ने पूर्व सरकार पर उठाए सवाल 

Category Archives: राजनीति

डीटीसी में घाटा होने पर सीएम रेखा गुप्ता ने पूर्व सरकार पर उठाए सवाल 

नई बसों को खरीदने के लिए पिछली सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया

डीटीसी संचालन में नहीं हुआ कोई घोटाला- आप पार्टी 

दिल्ली- एनसीआर। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कामकाज पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट सदन में पेश की। उसमें डीटीसी में घाटा होने पर पूर्व सरकार पर सवाल भी उठाए।

उन्होंने कहा कि नई बसों को खरीदने के लिए पिछली सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। यह कैग रिपोर्ट 2015-16 से 2021-22 की अवधि को कवर करती है। पूर्व की आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में लंबित इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखने की भाजपा विधायक लंबे समय से मांग कर रहे थे।
कैग की ऑडिट रिपोर्ट में पाया गया की डीटीसी ने कोई व्यवसाय योजना या परिप्रेक्ष्य योजना तैयार नहीं की। अपने घाटे को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न भौतिक और वित्तीय मापदंडों के संबंध में लक्ष्य निर्धारित करने के लिए दिल्ली सरकार के साथ कोई समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किया गया। बसों का रुट 814 से घटकर 468 हो गया। इससे सरकार को 2015 से 2022 तक करीब 14000 करोड़ का घाटा हुआ। 3697 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रोजेक्ट पर सरकार ने 52 करोड़ खर्च किया, लेकिन यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका। डीटीसी घाटे में होने के बावजूद क्लस्टर बसों के ऑपरेटरों से 225 करोड़ रुपये का किराया वसूल नहीं किया गया।

लगातार चलता रहा घाटे का सिलसिला

लेखापरीक्षा से पता चलता है कि निगम लगातार वित्तीय घाटे और परिचालन अक्षमताओं से जूझ रहा है। 31 मार्च 2022 तक डीटीसी के पास 36 डिपो में 3,762 बसों का बेड़ा था, जो प्रतिदिन औसतन 15.62 लाख यात्रियों को सेवा देता था और 2021-22 में इसका टर्नओवर 660.37 करोड़ रहा। इसके बावजूद उसी वर्ष निगम को 8,498.35 करोड़ का घाटा हुआ, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से लिए गए ऋणों पर 8,375.92 करोड़ का ब्याज बोझ प्रमुख कारण रहा।

बेड़े के प्रबंधन में खामियां

रिपोर्ट में सबसे चिंताजनक तथ्य यह रहा है कि डीटीसी के बस बेड़े में कमी रही है। यह 2015-16 में 4,344 से घटकर 2022-23 तक 3,937 हो गया। सरकार से फंड उपलब्ध होने के बावजूद निगम 2021-22 और 2022-23 में केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीदी। बेड़े में वृद्धि में देरी के कारण ऑपरेटरों पर 29.86 करोड़ का जुर्माना नहीं लगाया गया। पुरानी लो-फ्लोर बसों की संख्या 2015-16 में 0.13% (5 बसें) से बढ़कर 31 मार्च 2023 तक 44.96% (1,770 बसें) हो गई, जिससे खराबी और सेवा विश्वसनीयता में कमी आई।

परिचालन और योजना में कमियां

कैग ने डीटीसी की व्यावसायिक या दीर्घकालिक योजना के अभाव की भी बात कही है। मार्ग योजना में भी कमी रही। 31 मार्च 2022 तक 814 में से केवल 468 मार्ग (57%) ही संचालित थे, और कोई भी मार्ग परिचालन लागत वसूल नहीं कर सका। निर्धारित किलोमीटर 7.06% से 16.59% तक छूटे, और प्रति 10,000 किलोमीटर पर बसों की खराबी 2.90 से 4.57 के बीच रही, जिससे सात वर्षों में 668.60 करोड़ का संभावित राजस्व नुकसान हुआ। तकनीकी उन्नयन जैसे स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (एएफसीएस) और सीसीटीपी कैमरों का सिस्टम भी अधर में लटके हैं। दिसंबर 2017 में शुरू हुआ एएफसीएस मई 2020 से निष्क्रिय है, जबकि मार्च 2021 तक 3,697 बसों में 52.45 करोड़ की लागत से लगाया गया सीसीटीवी कैमरे मई 2023 तक कार्यात्मक नहीं हो सका।

डीटीसी ने कई बार राजस्व कमाने की अवसर गवाएं

डीटीसी के पास किराया संशोधन का अधिकार नहीं है, जो आखिरी बार तीन नवंबर 2009 को तय किया गया था। इससे यह सरकार की सब्सिडी पर निर्भर है। परिवहन विभाग से क्लस्टर बस संचालन के लिए 225.31 करोड़ और संपत्ति कर में 6.26 करोड़ रुपये बकाया हैं। विज्ञापन अनुबंधों में देरी और डिपो स्थानों के व्यावसायिक उपयोग में विफलता से राजस्व के अवसर खो गए। डीटीसी में मानव संसाधन प्रबंधन भी कमजोर रहा है। 30,591 कर्मचारियों के साथ डीटीसी ने 2013 के बाद अपनी स्टाफिंग नीति में संशोधन नहीं किया, जिससे कर्मचारी तैनाती में असंतुलन पैदा हुआ।

जवाबदेही की मांग

लेखापरीक्षा में आंतरिक नियंत्रण, प्रबंधकीय निगरानी और जवाबदेही की कमी को रेखांकित किया गया है। निविदाओं में देरी, कमजोर परिचालन नियंत्रण और बकाया वसूली में ढिलाई ने निगम को नुकसान पहुंचाया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बढ़ती आबादी के साथ राजधानी में सार्वजनिक परिवहन की मांग लगातार बढ़ रही है, ऐसे में डीटीसी का पुनरुद्धार जरूरी है।

डीटीसी को पटरी पर लाने के लिए इस पर अमल होना जरूरी

उद्योग मानकों के अनुरूप अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जाए।
विज्ञापन और भूमि के व्यावसायिक उपयोग से गैर-यातायात राजस्व बढ़ाया जाए।
सड़क योग्य बसों की संख्या सुनिश्चित हो।
लोड फैक्टर और मार्गों की समय-समय पर समीक्षा करने की जरूरत है।
डिम्टस के साथ प्रदर्शन अंतर का विश्लेषण और सुधार की जरूरत।
मैन पावर के उपयोग के लिए डीटीसी की कार्मिक नीति की समीक्षा की जानी चाहिए और उनकी नियुक्ति और तैनाती के लिए उचित तंत्र होना चाहिए।

पढ़े डीटीसी संचालन को लेकर क्या बोली आप पार्टी 

आम आदमी पार्टी का कहना है कि कैग रिपोर्ट ने पुष्टि की है कि डीटीसी के संचालन में कोई घोटाला या भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। भाजपा ने 2021 में एक हजार नई लो-फ्लोर बसों की खरीद में घोटाले का झूठा आरोप लगाया। उसके बाद एलजी ने सीबीआई जांच का आदेश दिया और अधिकारियों को प्रस्ताव को स्थगित करने के लिए मजबूर किया। सालों तक भाजपा ने दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बंधक बनाकर रखा, जिससे लोगों को बेहतर सेवाओं से वंचित रखा गया। उन्हें इसके लिए दिल्ली के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
कैग रिपोर्ट से यह भी पुष्टि होती है कि आप सरकार ने पिछले 10 वर्षों से किराये में बढ़ोतरी को रोककर और महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा देकर किफायती सार्वजनिक परिवहन सुनिश्चित किया। देश भर में एक भी भाजपा राज्य ऐसा करने में कामयाब नहीं हुआ है। भाजपा सरकार इन दोनों उपायों को उलटने की योजना बना रही है।

कैग रिपोर्ट से भाग रही है आम आदमी पार्टी : वीरेंद्र सचदेवा

प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि विधानसभा का सत्र शुरू होते ही उसके नेता बेबुनियाद मुद्दे उठाकर सदन से भाग गए। इसके पीछे उनका उद्देश्य कैग रिपोर्ट से बचना था। सचदेवा ने कहा कि सोमवार को जब दिल्ली सरकार ने डीटीसी से जुड़ी लंबित कैग रिपोर्ट पेश की तो आम आदमी पार्टी के नेता बौखला गए और आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा करने लगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कैग की ताजा रिपोर्ट में डीटीसी घोटाले को उजागर किया गया है, जिसमें खुद पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी की सीधी संलिप्तता थी। पूर्व की सरकार मनगढ़ंत आंकड़े पेश कर जनता को गुमराह करती रही।

कैग रिपोर्ट पर कार्यवाही में देरी पर विस अध्यक्ष ने जताई नाराजगी

विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा में कैग रिपोर्ट पर खुलासा किया। उसमें कहा कि कैग रिपोर्ट पर पिछले दस वर्षों में आम आदमी पार्टी के शासन में विधानसभा की लोक लेखा समिति और सरकारी उपक्रम समिति ने जांच कर कोई रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत नहीं की। वहीं प्रशासनिक विभागों ने रिपोर्ट के पैरा पर कोई एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश नहीं की, जबकि यह तीन महीने के भीतर प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है।
विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि महालेखाकार (ऑडिट) रोली शुक्ला ने 21 मार्च को इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रशासनिक विभागों को चेतावनी देते हुए कहा कि एक्शन टेकन रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत न करने के मामले में कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर विभाग कैग की रिपोर्ट पर समय पर जवाब नहीं देते हैं तो इससे ऑडिट की पूरी प्रक्रिया निष्प्रभावी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के व्यय विभाग ने इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष मॉनिटरिंग प्रकोष्ठ बनाया है। इसके अलावा, एक वेब-आधारित प्रणाली ऑडिट पैरा मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया है, जिससे सभी रिपोर्टों पर की निगरानी की जाती है। इससे पारदर्शिता बढ़ती है और अनावश्यक कागजी कार्यवाही समाप्त होती है। जबकि दिल्ली में अभी तक यह कार्य मैन्युअल रूप से किया जा रहा है, जिससे समय की बर्बादी होती है और कार्यवाही में अनावश्यक देरी होती है। महालेखाकार ने दिल्ली में भी यह प्रणाली लागू करने की सिफारिश की थी, लेकिन इस पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
उन्होंने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि कैग रिपोर्टों पर कार्रवाई की निगरानी के लिए इस प्रणाली जल्द से जल्द लागू किया जाए। उन्होंने वित्त विभाग को अप्रैल 2025 के पहले सप्ताह तक इस संबंध में एक स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

विपक्ष नेता आतिशी ने महिला समृद्धि योजना को लेकर एक बार फिर रेखा सरकार पर साधा निशाना 

दिल्ली- एनसीआर। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में महिला समृद्धि योजना के क्रियान्वयन न होने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। दिल्ली विधानसभा विपक्ष की नेता आतिशी ने महिला समृद्धि योजना को लेकर एक बार फिर रेखा गुप्ता सरकार पर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कहा, “चुनाव से पहले PM मोदी ने दिल्ली की महिलाओं से वादा किया था कि 8 मार्च को हर महिला के बैंक अकाउंट में 2500 रुपये आएंगे। लेकिन एक भी पैसा नहीं आया। यह एक जुमला था। 2500 रुपये तो छोड़िए अभी तक योजना का रजिस्ट्रेशन भी शुरू नहीं हुआ।”


कांग्रेस का आरोप, उत्तराखंड को भाजपा सरकार ने बना दिया मदिरा प्रदेश

शराब में ओवर रेटिंग से हो रही खुली लूट, आबकारी विभाग माफिया के हवाले -धस्माना

देहरादून। पिछले विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में उत्तराखंड को धीरे धीरे मद्यनिषेध की ओर ले जाने का वादा करने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश से मदिरा प्रदेश में तब्दील कर दिया है। पूरे प्रदेश में कदम कदम पर शराब की दुकान खोल दी गई है जिससे राज्य का युवा नौजवान बर्बाद हो रहा है। सरकार एक ओर अपना खजाना शराब की कमाई से भर रही है और भाजपा नेताओं व सरकार में शामिल ओहदेदारों की जेब शराब की ओवर रेटिंग की काली कमाई से भर रही है।

यह आरोप आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में लगाया। प्रदेश सरकार की आबकारी नीति पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि विदेशी शराब की दुकान थोक के भाव खोली जा रही हैं और अकेले देहरादून में अब तक रेगुलर टैंडर प्रक्रिया से खुलने वाली शराब की दुकानों के अतिरिक्त पैंसठ नई विदेशी शराब की दुकानें खोली जा चुकी हैं और पचास से ज्यादा नई दुकानें खोलने की तैयारी है।

पंद्रह लाख रुपए लाइसेंस फीस के अलावा इतनी ही रकम रिश्वत के रूम में वसूली जा रही है। धस्माना ने कहा कि प्रदेश की लगभग सभी देसी व अंग्रेजी शराब की दुकानों से शराब के निर्धारित दामों से अधिक पैसा ग्राहकों से वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रति माह देसी साढ़े तीन लाख पेटी शराब, अंग्रेजी की चार लाख पेटी व बियर की चार लाख पेटी की बिक्री होती है । धस्माना ने कहा कि प्रति माह पच्चीस करोड़ रुपए ओवररेटिंग से अवैध तरीके से वसूले जा रहे हैं। धस्माना ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश का एक शराब माफिया पूरे आबकारी विभाग को चला रहा है।

धस्माना ने कहा कि यह व्यक्ति वह आबकारी विभाग के अधिकारियों की तैनाती से लेकर एफ एल टू और शराब की हर नीति का निर्धारण कर रहा है। धस्माना ने आरोप लगाया कि शराब की ओवर रेटिंग की कमाई की वसूली करने वाला यह व्यक्ति अगली शराब नीति में पुराने ठेकों को रिन्यूअल के नाम पर भी ठेकेदारों से भरी रकम वसल कर रहा है। धस्माना ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग करती है कि राज्य में शराब की दुकानों पर ओवर रेटिंग पर तत्काल रोक लगाई जाए और शराब नीति को प्रभावित करने वाले व आबकारी विभाग पर अवैधानिक तरीके से हस्तक्षेप करने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।


सरकार के इशारे पर हो रही हैं महापंचायतें- कांग्रेस

हाई कोर्ट के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां . भाजपा पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा सरकार अपनी नाकामियों और विफलताओं को छुपाने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। इतना ही नहीं, प्रदेश सरकार और उसके नेताओं पर नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने का गंभीर आरोप भी लगा है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए सूर्यकान्त धस्माना ने कहा, “उत्तरकाशी की शांत वादियों को जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव में झोंका जा रहा है। पहले पुरोला में फर्जी मामला बनाकर माहौल खराब किया गया और अब दशकों पुरानी मस्जिद का मुद्दा उठाकर प्रदेश के सौहार्द को नष्ट करने की साजिश रची जा रही है।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उत्तरकाशी की महापंचायत में भाजपा के विधायकों ने भाषण देकर आग में घी डालने का काम किया। यह कदम उच्च न्यायालय के आदेशों और सरकार के ही हलफनामे का उल्लंघन है, जिसमें महापंचायत की अनुमति न देने की बात कही गई थी।

भाजपा नेताओं का संरक्षण
धस्माना ने कहा कि इन सांप्रदायिक घटनाओं में शामिल तत्वों को भाजपा सरकार और उसके नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। “सरकार ने ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें महापंचायत आयोजित करने की खुली छूट दी, जिससे उनकी मंशा साफ हो जाती है। यह प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की सोची-समझी साजिश है।”

जनता से अपील और सरकार को चेतावनी
धस्माना ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे ऐसी साजिशों से सावधान रहें और शांति बनाए रखें। साथ ही उन्होंने सरकार को चेतावनी दी, “अगर प्रदेश का माहौल बिगाड़ने वाले तत्वों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर जनता के हितों के लिए संघर्ष करेगी।”

हाई कोर्ट की अवहेलना पर कौन देगा जवाब?

धस्माना ने कहा कि भाजपा सरकार और उसके नेताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद महापंचायत आयोजित होने का जिम्मेदार कौन है। “यह सरकार की मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जनता को इसका जवाब चाहिए।”


कांग्रेस ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनियमितताओं पर उठाए सवाल, चुनाव आयोग को सौंपा ज्ञापन

नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार से निराश कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए “अत्यावश्यक ज्ञापन” सौंपा है। पार्टी ने चुनाव में “गंभीर अनियमितताओं” की ओर इशारा करते हुए इन शिकायतों की गहन जांच और व्यक्तिगत सुनवाई की मांग की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने 12 पन्नों का यह ज्ञापन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया। इसमें बताया गया है कि महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले, मुकुल वासनिक और रमेश चेन्नीथला ने चुनाव आयोग के समक्ष यह मामला उठाया।

वोटर लिस्ट में हेरफेर का आरोप
कांग्रेस ने दावा किया है कि जुलाई 2024 से नवंबर 2024 के बीच मतदाता सूची में 47 लाख नए मतदाता जोड़े गए। इसके अलावा, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 10,000 से अधिक मतदाताओं को जोड़ा या हटाया गया। पार्टी ने यह भी बताया कि 50 निर्वाचन क्षेत्रों में 50,000 से अधिक मतदाताओं की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई, जिनमें से 47 सीटों पर सत्ताधारी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को जीत मिली। कांग्रेस ने इस आरोप के समर्थन में तुलजापुर के मतदाता पंजीकरण अधिकारी द्वारा दर्ज एक एफआईआर का हवाला दिया, जिसमें फर्जी आधार कार्ड के माध्यम से वोटर रजिस्ट्रेशन का मामला सामने आया था।

मतदान प्रतिशत में संदिग्ध वृद्धि
चुनाव के दिन मतदान प्रतिशत में अचानक हुई वृद्धि को लेकर भी कांग्रेस ने सवाल उठाए। पार्टी का कहना है कि शाम 5 बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22% था, जो रात 11:30 बजे तक 65.02% और फिर कुछ घंटों में बढ़कर 66.05% हो गया। कांग्रेस ने इसे “अभूतपूर्व” और असंभव करार दिया। पार्टी के अनुसार, चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, आखिरी घंटे में 76 लाख वोट डाले गए, जो सामान्य प्रक्रिया के अनुसार संभव नहीं है।

जांच और जवाबदेही की मांग
कांग्रेस ने ज्ञापन में कहा है कि चुनाव आयोग को इन विसंगतियों का तर्कसंगत स्पष्टीकरण देना चाहिए। पार्टी ने आयोग से इन मामलों की जांच करते हुए दोषियों को उजागर करने और खुद को जवाबदेह ठहराने की मांग की। कांग्रेस ने यह भी कहा कि आयोग से व्यक्तिगत सुनवाई की अपील की गई है, ताकि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उनके समक्ष रखा जा सके।

क्या कहेगा चुनाव आयोग?
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कांग्रेस के इन आरोपों पर चुनाव आयोग क्या रुख अपनाता है और क्या कोई ठोस कार्रवाई की जाती है।


विवादित अफसरों को सेवा विस्तार दे रही भाजपा से जनता त्रस्त – कांग्रेस

उत्तरकाशी में कांग्रेस ने निकाय चुनाव के लिए कमर कसी

उत्तरकाशी। कांग्रेस ने आगामी निकाय चुनावों में उत्तराखंड में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कमर कस ली है। उत्तरकाशी के गांधी वाचनालय में जिला और नगर कांग्रेस कमेटी की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और उत्तरकाशी के प्रभारी सूर्यकांत धस्माना मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

सूर्यकांत धस्माना ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड की जनता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सात वर्षों के कुशासन से त्रस्त हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। अनिल यादव जैसे विवादित व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पदों पर सेवा विस्तार दिया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट और नैनीताल हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करने से बचा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी अपने चरम पर है और भाजपा सरकार के संरक्षण में बड़े पैमाने पर भर्ती घोटाले हुए हैं। उन्होंने खनन का काम निजी कंपनियों को सौंपने और राज्य में शराब की दुकानों की बढ़ती संख्या पर भी सवाल उठाए।

चारधाम यात्रा और महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता

चारधाम यात्रा में इस वर्ष अव्यवस्थाओं का बोलबाला रहा, जिसके चलते तीर्थ यात्रियों की संख्या में कमी आई। धस्माना ने यह भी कहा कि पिछले सात वर्षों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा, बलात्कार और हत्या के मामले बढ़े हैं। कई मामलों में भाजपा नेताओं की संलिप्तता के चलते अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई।

बैठक में नगर कांग्रेस अध्यक्ष कमल रावत ने भरोसा दिलाया कि पार्टी आगामी निकाय चुनावों में उत्तरकाशी नगर पालिका में अध्यक्ष और पार्षद पदों पर जीत दर्ज करेगी। उन्होंने बताया कि विभिन्न श्रेणियों के प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर लिया गया है और आरक्षण घोषित होने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

जिला अध्यक्ष मनीष राणा ने कहा कि लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी छोड़ने वाले कार्यकर्ताओं का असर अब खत्म हो चुका है। असमंजस में पड़े कई पुराने कार्यकर्ता वापस कांग्रेस में लौट रहे हैं, जो निकाय चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करेंगे।

बैठक में प्रदेश महामंत्री घनानंद नौटियाल, जगमोहन रावत, विजय सेमवाल, शिशपाल पोखरियाल, कविता जोगेला, राखी राणा, सविता राणा और अन्य कई वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे।

सूर्यकांत धस्माना ने पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे चुनावों की तैयारियों में जुट जाएं और कांग्रेस का परचम फिर से लहराएं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संकट काल में पार्टी के साथ खड़े रहने वालों का सम्मान किया जाएगा, जबकि पार्टी छोड़ने वालों को पछताना पड़ेगा।


 नफरत को मोहब्बत से ही खत्म किया जा सकता है, दूसरी साइड ने ले रखा नफरत का ठेका- राहुल गांधी 

पढ़िए राहुल गांधी का मोहब्बत और नफरत को लेकर दिया गया यह बयान 

राजनीति में फैलायी जा रही सिर्फ नफरत, हिंसा और गुस्सा- राहुल गांधी 

गोंदिया। महाराष्ट्र विधानसभा का रण जीतने के लिए राजनीतिक दलों के नेता जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इसी क्रम में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गोंदिया में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। इस दौरान राहुल गांधी ने मोहब्बत और नफरत की राजनीति को लेकर बयान दिया।

राहुल गांधी ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह लव यू शब्द भारत जोड़ो यात्रा के बाद जब मैंने कहा कि नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलनी है, यह शब्द तब से चला है।

यह बहुत जरूरी शब्द है, इसका सब लोग प्रयोग करते हैं। लेकिन राजनीति में यह शब्द गायब था। राजनीति में सिर्फ नफरत, हिंसा और गुस्सा ये चीजें फैलाई जा रही थीं। इसलिए हमने सोचा कि अगर दूसरी साइड ने नफरत का ठेका ले रखा है, तो हम मोहब्बत का ठेका ले लेते हैं। उसमें फायदा भी है।

नफरत में भाई भाई से लड़ता है, नफरत को नफरत नहीं काट सकती है। कोई आपसे नफरत करता है, आप उससे जाकर और नफरत करो, तो बात नहीं कटती लेकिन कोई भी आपसे नफरत करें और आपने उसे मोहब्बत दिखा दी, में नफरत खत्म हो जाती है।

यह कांग्रेस पार्टी की सोच है, महात्मा गांधी की सोच है। इसके अलावा राहुल गांधी ने कहा कि जब भी मैं महाराष्ट्र में आता हूं आपके चेहरों पर आपके दिलों में कांग्रेस पार्टी की विचारधारा दिखती है। कहने और समझाने की भी जरूरत नहीं होती है। यह आप में नेचुरल है आपके डीएनए में है। यह नया नहीं है यह हजारों साल से चल रहा है।

बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच कांटे की टक्कर है। राज्य की सभी 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 20 नवंबर मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।

 


अखिलेश यादव का बीजेपी पर हमला- “पहले बोरी में चोरी, अब बोरी ही गायब”

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में बढ़ती खाद की कमी पर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने बीजेपी पर किसानों को खाद के संकट में डालने का आरोप लगाया। एक्स पर पोस्ट करते हुए अखिलेश ने लिखा, “ये आठ साल पहले की नोटबंदी की लाइन नहीं है, बल्कि कल की तस्वीरें हैं, जहां किसान खाद पाने के इंतजार में लंबी कतारों में खड़े हैं। बीजेपी, पहले तो केवल बोरी में चोरी करती थी, अब तो बोरी ही चोरी हो गई है। खाद ऊंचे दामों में भ्रष्ट भाजपाइयों के गोदामों में बिक रही है।”

‘खाद की कालाबाजारी’ पर अखिलेश का तीखा प्रहार
अखिलेश यादव पहले भी खाद की किल्लत पर बीजेपी सरकार पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि भाजपाइयों ने खाद का भंडारण कर लिया है और उसकी कालाबाजारी कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, “डीएपी और पीडीए, दोनों में अक्षरों की समानता है, और ये दोनों ही बीजेपी के पतन को तेज करेंगे। जितना किसान सम्मान के नाम पर दिया जा रहा है, उससे कहीं अधिक खाद की कालाबाजारी से किसानों से छीना जा रहा है।”

भाषणबाजी से परेशान किसान
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद में भी खाद की किल्लत के चलते किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। उन्होंने तंज कसा कि “अगर मुख्यमंत्री को भाषणबाजी और पॉलिटिकल पर्यटन से फुर्सत मिले, तो अपने गृह जनपद सहित पूरे प्रदेश में डीएपी का वितरण सुनिश्चित करवाएं। बुवाई का सीजन फिर साल भर बाद आएगा। भाजपाइयों की नौटंकी और भाषणबाजी से किसान त्रस्त हो चुके हैं।”

अखिलेश यादव का यह बयान किसानों की समस्याओं पर बढ़ते असंतोष और बीजेपी सरकार पर उनके आरोपों को और तेज कर रहा है।


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