उत्तराखंड में 4 नवंबर को लोक पर्व ईगास का अवकाश रहेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ऐलान के बाद सरकार ने मंगलवार को छुट्टी का आदेश जारी कर दिया. हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गढ़वाली बोली में ट्वीट किया था। ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ‘वाह! हम सब्बी मिल्के इगास मनोला, नई पीढ़ी ते अपनी लोक संस्कृति से जुड़ी हुई है।
लोक उत्सव इगास हमारू लोक संस्कृति प्रतीक f. इस त्यौहार में और विशेष कारणों से इस दिन हमारे राज्य में छुट्टी होती है, ताकि हम इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मना सकें। हमारी नई पीढ़ी भी हमारे पारंपरिक त्योहारों के साथ जूनी राऊ, यू हमरू उद्देश्य f.’ अब सरकार ने इगास बगवाल के दिन छुट्टी का आदेश जारी किया है।
प्रभारी सचिव विनोद कुमार सुमन द्वारा जारी आदेश के अनुसार 4 नवंबर को सभी सरकारी, गैर सरकारी कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, प्रतिष्ठान के साथ ही बैंक और कोषागार बंद रहेंगे.
गौरतलब है कि दीपावली के 11 दिन बाद राज्य में लोक पर्व एगास बगवाल मनाया जाता है। सरकार का उद्देश्य है कि सभी लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाएं और नई पीढ़ी को इस पर्व से जोड़ें।
इगास त्योहार क्या है
उत्तराखंड में बगवाल (इगास) मनाने की परंपरा है। दिवाली के त्योहार को यहां बगवाल कहा जाता है, जबकि एक अन्य दिवाली त्योहार बगवाल (दीपावली) के 11 दिन बाद मनाया जाता है। इसे इगास कहा जाता है।
घर में बनाए जाते हैं मीठे पकवान
पहाड़ की लोक संस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की सफाई कर मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है.
नृत्य के साथ खेला जाता है भैलो
इगास पर्व के दिन गाय और बैलों की पूजा की जाती है। शाम के समय गांव के किसी खाली खेत या खलिहान में नृत्य के साथ भैलो बजाया जाता है। भैलो एक प्रकार की मशाल है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है।