अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) ऋषिकेश ने ड्रोन के माध्मय से 15 मिनट में यमकेश्वर ब्लॉक के जुड्डा गांव में टीबी की दवाईयां पहुंचाई। एम्स से जुड्डा की दूरी 26 किलोमीटर है। एम्स उत्तराखंड के दूरस्थ और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में ड्रोन से टीबी की दवा पहुंचाने के लिए ट्रायल कर रहा है।

बृहस्पतिवार को एम्स ने पौड़ी जनपद के यमकेश्वर ब्लॉक में ड्रोन का ट्रायल किया। एम्स से सुबह 9 बजे ड्रोन को उड़ाया गया। जो 9 बजकर 15 मिनट में जुड्डा गांव में पहुंच गया। यमकेश्वर ब्लॉक के चिकित्सा प्रभारी डा. राजीव कुमार ने बताया कि ड्रोन में करीब एक किग्रा के वजन की दवाईयां दी।
ड्रोन का यह प्रयास सफल रहा। कहा कि एम्स की ओर से इससे पहले ड्रोन का मेडिसिन ट्रायल टिहरी जनपद में किया गया था। उसके बाद अब दूसरा ट्रायल पौड़ी जनपद के यमकेश्वर ब्लॉक में हुआ।
टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाएगा
इस मौके पर एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. मीनू सिंह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने में यह सुविधा विशेष लाभदायक सिद्ध होगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है.
समय रहते इलाज मिल सकेगा
उन्होंने कहा कि पहाड़ के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले बीमार लोगों तक इस माध्यम से दवा पंहुचाकर उनका समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है. इसके अलावा इस सुविधा से आपात स्थिति में फंसे लोगों तक भी तत्काल दवा अथवा इलाज से संबंधित मेडिकल उपकरण पंहुचाए जा सकेंगे.
जरूरतमंदों तक आसानी से पहुंचेगी दवा
डॉ. मीनू सिंह ने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थ यात्रियों के घायल हो जाने अथवा गंभीर बीमार हो जाने की स्थिति में, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में फंसे जरूरतमंदों तक दवा पहुंचाने तथा दूरस्थ क्षेत्रों से एम्स तक आवश्यक सैंपल लाने में इस तकनीक का विशेष लाभ मिलेगा. इसके अलावा आंखों की कार्निया के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में भी इस तकनीक का उपयोग कर समय की बचत की जा सकेगी.