वजन कम करने के लिए कई लोग खाने से पहले सलाद का सेवन करते हैं। ताकि भूख भी कम लगे। लेकिन उत्तराखंड का यह अनोखा सलाद बेहद फायदेमंद है। यह इम्युनिटी को बढ़ाता है और खास बात यह है कि इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री को चाकू से नहीं काटा जाता है।
अद्भुत पहाड़ी सलाद रैमोड़ी
- रैमोड़ी को दुनिया का अद्भुत सलाद भी कह सकते हैं।
- अब तो गांव में बहुत कम लोग रह गए हैं, लेकिन पुराने समय में गांवों में लोग चौपाल में मिलकर रैमोड़ी खाते थे।
- तब रैमोड़ी बनाने में पहाड़ की महिला विशेषज्ञ मानी जाती थीं।
- इसे बनाने के लिए फूल-पत्ती व कलियों का प्रयोग किया जाता है और इन्हें चाकू से नहीं काटा जाता है।
- वसंत के आगमन पर पहाड़ों में तरह-तरह की हरी कलियां और फूल खिल आते हैं।
- इन कलियों और फूलों को जमा किया जाता है।
- इन्हें चाकू से काटने के बजाय हाथ से तोड़ा और मरोड़ा जाता है।
- ऐसा इसलिए किया जाता है ताकी उन फूल-पत्तियों व कलियों का स्वाद बरकरार रहे।
- साथ ही हर फूल-पत्ती व कली के स्वाद में विविधता रहे।
- फूल-पत्तियों व कलियों को तोड़ने के बाद उसमें हिसाब से नमक, मिर्च, सरसों का कच्चा तेल और नींबू मिलाया जाता है।
रैमोड़ी में प्रयोग होने वाले फूल, पत्ते और कलियाँ
- बुरांस के फूल
- प्याज की हरी पत्तियां छोटे-छोटे प्याज सहित
- लहसुन की हरी पत्तियां
- हरा धनिया
- मूली की छोटी व मुलायम पत्तियां
- लाही (तोरिया) व मटर के पौधे
- घाल्डा
- घेंडुड़ी
- तोमड़ी
- कुरफली
- गुरियाल के फूल की कलियां
- मुलायम फलियां
- साकिना व बुढ़णी के फूल
- कंडरा की जड़ें
- तिलण्या
- चकोतरा, नींबू
रैमोड़ी का स्वाद बहुत ही सेहतमंद होता है
रैमोड़ी खाने से शरीर में पोषक तत्वों की जरूरत पूरी होती है। इसमें इस्तेमाल होने वाले विभिन्न जैविक पौधों के प्राकृतिक स्वाद के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इस पहाड़ी सलाद को आप हर नए सीजन में चख सकते हैं।