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Joshimath Sinking: हर घर के अंदर आंसुओं से भीगी दर्द भरी कहानी, बुजुर्ग मान सिंह की तड़प बयां कर रहे ये शब्द

Joshimath Sinking

Joshimath Sinking: हर घर के अंदर आंसुओं से भीगी दर्द भरी कहानी, बुजुर्ग मान सिंह की तड़प बयां कर रहे ये शब्द

Joshimath Sinking: भूस्खलन से तबाह हुए हर घर के अंदर आंसू भरी दर्द भरी कहानियां मिल रही हैं. प्रभावित व्यक्ति का गला रुंध जाता है। उनके सामने ईंट-पत्थर से बने घर ढह रहे हैं, लोग बेबस हैं और कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं. उनके पास जो कुछ बचा है वह आंसुओं और दुखों की बाढ़ है।

Joshimath Sinking

71 वर्षीय मान सिंह मर्तोलिया और उनकी पत्नी कमला देवी मनोहर बाग वार्ड में रहते हैं। उनसे बात-चीत कर दोनों पति-पत्नी अपने ऊपर आई विपदा को बताते-बताते रोने लगे। घर की सीढ़ियों पर लाचारी की हालत में बैठे मानसिंह रुंधे गले लगकर बताते हैं कि 1971 में गरीबी के कारण गांव से यहां आए थे। खूब मेहनत की, एक ठेकेदार के यहां काम किया।

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मेहनत से एक-एक ईंट-पत्थर जुड़ते गए। धीरे-धीरे घर बनाया। पांच बेटियां हैं, चार की शादी पांचवीं की शादी की तैयारी कर रही है। बुढ़ापा होने के कारण अब कोई काम नहीं था तो तीन किराएदार थे, जिनसे घर का खर्च चलता था। दिन अच्छे चल रहे थे, लेकिन अब बीत गए।

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प्रशासन ने किराएदारों को हटवाया, वे राहत शिविर गए। रात को कैंप में रुकें और सुबह घर लौट आएं। हम चुप रहते हैं, किसी से क्या कहें, सरकार क्या देगी और क्या नहीं देगी, उनका जीवन कितना चल पाएगा। बेटी की शादी कैसे करें? बात-बात में पत्नी कमला देवी का भी गला रुंध गया। वह कहती हैं कि बच्चे डबिंग कर रहे हैं, उनका कहना है कि वे किसी दिन अपने घर वापस आ सकेंगे। अगर आप भी वहां से चले गए तो हम किसके पास आएंगे?

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मानसिंह मर्तोलिया ने बताया कि जब वह यहां आए तो यहां कस्बे का इलाका था। हर तरफ जंगल और खेत थे। यह नगर हमारे सामने बना, विस्तृत हुआ। अब इसे अपने सामने बर्बाद होते देख रहे हैं। कहा कि उन्होंने इस क्षेत्र में ऐसी आपदा कभी नहीं देखी थी।
Joshimath Landslide
इसी वार्ड में रहने वाली विकेश्वरी का भी कुछ ऐसा ही हाल है। विकेश्वरी ने बताया कि घर में चारों तरफ से जगह छूट गई है, यहां रहने लायक नहीं है। 2008 में पति की मौत हो गई। 2009 में किसी तरह घर बनाया। एक बेटी है जिसकी 2016 में शादी हुई थी। अब वह अकेली रहती है। सोचा अपनों के बीच रहूंगा। लेकिन अब घर नहीं रहा।


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